बरेली गोलीकांड: साठगांठ या इत्तेफाक...गुमनाम बदमाश मुठभेड़ में गोली मारकर पकड़े, राणा बंधु हाजिर होने में कामयाब

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Published By Moazzam Beg
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बरेली, अमृत विचार। गोलीकांड में शामिल ऐसे बदमाश जिनके पुलिस को नाम तक पता नहीं थे, उन्हें न सिर्फ ढूंढ निकाला गया बल्कि मुठभेड़ दिखाकर पैर में गोली मारकर पकड़ा गया लेकिन राजीव राणा और उसका भाई संजय राणा जो मुख्य आरोपी थे, वे आसानी से आकर आत्मसमर्पण करने में सफल हो गए। इस इत्तफाक पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

राजीव राणा, संजय राणा और केपी यादव जैसे मुख्य आरोपियों की तलाश के लिए एसओजी समेत पुलिस की पांच टीमें लगाई गई थीं। इन टीमों ने गोलीकांड में शामिल तमाम उन बदमाशों को ढूंढ निकाला जिनके उन्हें नाम तक पता नहीं थे। 

शातिर केपी यादव भी नहीं बच सका, उसे भी पैर में गोली मारकर गिरफ्तार कर लिया लेकिन अपने राजनीतिक संबंधों के बलबूते फायरिंग कराने वाला न राजीव राणा पुलिस के हाथ आया और न ही उसका भाई संजय राणा। राजीव राणा ने तब आत्मसमर्पण किया, जब उसका होटल और घर गिराया जा रहा था। अब संजय राणा भी खुद एसएसपी कार्यालय पहुंचकर हाजिर हो गया। 

कहा जा रहा है कि संजय राणा चाहता तो थाने पहुंच सकता था या कोर्ट जा सकता था लेकिन उसे पता था कि एसएसपी कार्यालय में मीडिया होगी और तमाम फरियादी भी। इसलिए आत्मसमर्पण के लिए उसने एसएसपी कार्यालय को चुना। पहले एक होमगार्ड के पास जाकर खुद को राजीव राणा का भाई बताया। इसके बाद उसे अंदर ले जाया गया।

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