Kanpur: ऑर्टरी नली में कैल्शियम जमा तो नहीं होगी अब ओपन हार्ट सर्जरी, कॉर्डियोलॉजी में इस विधि से होगा दिल के रोगियों का इलाज
कानपुर के कॉर्डियोलॉजी में आईवीएल विधि से होगा दिल के रोगियों का इलाज
कानपुर, अमृत विचार। हृदय रोगियों के आर्टरी की नली कैल्शियम के जमाव की वजह से सख्त हो जाती है। तब ऐसे में रोगियों को ओपन हार्ट सर्जरी कराने की जरूरत होती है। ओपन हार्ट सर्जरी में कई बार मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और सीने में निशान भी पड़ जाता है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। क्योंकि कार्डियोलॉजी संस्थान में आईवीएल पद्धति से इलाज मिलेगा और उन्हें स्टेंट लगाया जाएगा।
रावतपुर स्थित एलपीएस कॉर्डियोलॉजी संस्थान में कानपुर के साथ ही 18 जिलों से मरीज, यहां तक मध्य प्रदेश व बिहार से भी दिल की बीमारी से संबंधित मरीज इलाज के लिए आते हैं। कुछ मरीजों की जांच में हृदय रोगियों के आर्टरी की नली कैल्शियम के जमाव की वजह से सख्त मिलती हैं। ऐसे में अभी यहां पर नली में जमे कैल्शियम को सही करने के लिए ओपन हार्ट सर्जरी की जाती है, लेकिन अब इस बीमारी से निजात दिलाने के लिए कॉर्डियोलॉजी में आईवीएल यानी इंट्रा वैस्कुलर लिथोट्रिप्सी विधि से इन मरीजों को राहत दी जाएगी।
कॉर्डियोलॉजी संस्थान के निदेशक प्रो. राकेश कुमार वर्मा ने बताया कि इस विधि से शॉक वेव के जरिये कैल्शियम का जमाव तोड़ दिया जाएगा। इसके बाद नली मुलायम हो जाएगी और आसानी से स्टेंट लग जाएगा। इसमें कैल्शियम की पपड़ी उसी तरह तोड़ी जाती है, जिस तरह शॉक वेव से गुर्दे की पथरी को तोड़ा जाता है। आईवीएल विधि से इलाज की सुविधा कार्डियोलॉजी में निशुल्क दी जा रही है। अभी तक करीब 50 रोगियों को इस विधि से इलाज दिया जा चुका है।
डायबिटीज रोगियों को होती अधिक दिक्कत
प्रो. राकेश वर्मा के मुताबिक हृदय की आर्टरी में कैल्शियम का जमाव ज्यादातर डायबिटीज से ग्रसित हृदय रोगियों को होता है। इसके अलावा गुर्दा रोगियों को भी आर्टरी में कैल्शियम जमाव की यह दिक्कत होती है। इसके अलावा अधिक उम्र वाले रोगियों को यह समस्या आती है। आर्टरी ब्लॉकेज होने पर ओपन हार्ट सर्जरी में रोगी को अधिक दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ता था और खून चढ़ाने की भी जरूरत पड़ती है। लेकिन आईवीएल में रोगी का इलाज आसान हो जाता है।
पर्त सख्त होने से अंदर नहीं फूल पाता बैलून
सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि आर्टरी में कैल्शियम का जमाव होने से पर्त सख्त हो जाती है। इससे अंदर बैलून फूल नहीं पाता। स्टेंट लगाने में दिक्कत आती है। इस विधि से बैलून डालकर शॉक वेव देते हैं, जिससे पर्त टूट जाती है। इंट्रा वैस्कुलर लिथोट्रिप्सी का सेटअप 10 लाख का पड़ता है। बैलून सवा लाख रुपये में आता है। लेकिन कॉर्डियोलॉजी संस्थान में इस विधि से मरीजों का इलाज निशुल्क किया जा रहा है।
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