घरों में रखे हथियार, अपनों के ही बन गए “जानी-दुश्मन”

जुलाई में छात्र समेत पांच लोगों ने खुद को गोली मार की आत्महत्या

घरों में रखे हथियार, अपनों के ही बन गए “जानी-दुश्मन”

विनय शुक्ला, लखनऊ। सुरक्षा या फिर शौक के लिए घरों में रखे हथियार अपनों के ही जानी-दुश्मन बन गए है। इनदिनों राजधानी में अवैध व लाइसेंसी हथियार से खुद को गोली मारकर आत्महत्या करने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। एक माह के भीतर इंटरमीडिएट के छात्र समेत पांच लोगों ने खुद को गोली से उड़ा लिया। बावजूद इसके लोगों में अभी भी जागरुकता का अभाव है। ऐसे में मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि घरों में हथियार न रखें और बच्चों व युवाओं के सामने उसका प्रदर्शन न करें।

 दिनांक                  थाना                 घटनास्थल                    मृतक                           हथियार 

15 जुलाई           सैरपुर              ड्रिप-इन होटल                सर्राफ मनोज सोनी           अवैध पिस्टल

17 जुलाई          मड़ियांव            मधुवन विहार कॉलोनी      ठेकेदार शिशिर मिश्र          अवैध पिस्टल 

18 जुलाई         मदेयगंज              खदरा मोहल्ला              छात्र शिवा पांडे               लाइसेंसी हथियार

24 जुलाई          गाजीपुर               इंदिरानगर                    प्रत्युष मिश्रा                  लाइसेंसी हथियार

27 जुलाई        अलीगंज                 त्रिवेणीनगर                 लक्ष्मी शंकर मिश्र                 लाइसेंसी हथियार

एक माह में पांच लोगों ने की खुदकुशी

गौरतलब है कि 15 जुलाई को प्रेमिका की ब्लैकमेलिंग से तंग आकर सीतापुर के सर्राफ मनोज सोनी ने सैरपुर के ड्रिप-इन-होटल में खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी, पुलिस के मिले सुसाइट नोट में सर्राफ ने प्रेमिका और उसके पति को अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया था। 17 जुलाई को मधुवन विहार कॉलोनी मड़ियांव में किराए के मकान में रह रहे ठेकेदार शिशिर मिश्र ने बीमारी से तंग आकर खुद को गोली मार ली थी। इसके अगले दिन मदेयगंज के खदरा मोहल्ले में इंटरमीडिएट की परीक्षा पास कर चुके छात्र शिवा पांडे ने पिता की सर्विस रिवॉल्वर से खुद को गोली मार ली थी। वहीं, 24 जुलाई को गाजीपुर के इंदिरानगर में छात्र प्रत्युष मिश्र और  27 जुलाई को अलीगंज के त्रिवेणीनगर में सेवानिवृत्त पीसीएफ कर्मी लक्ष्मी शंकर मिश्र ने खुद को गोली मारकर आत्मघाती कदम उठा लिया।   

 शहर के उत्तरी जोन में घटनाएं

दरअसल, यह पांच घटनाएं शहर के उत्तरी जोन में अलग-अलग थानाक्षेत्रों में घटित हुई हैं। इनमें लोगों ने अवैध और लाइसेंसी हथियार से खुद को गोली से उड़ा लिया। पुलिस ने मौके से हथियारों को बरामद किया है लेकिन यह अभी स्पष्ट नहीं हो सका है कि मृतकों ने अवैध हथियार कहां से खरीदा था? इन हथियारों को कहां पर बनाया गया है। हालांकि पुलिस कड़ी दर कड़ी जोड़कर हथियारों की खरीद-फरोख्त करने वाले सरगना तक पहुंचने की कवायद में जुटी है। अभी तक पुलिस को हथियारों के सप्लायर को पकड़ने में नाकायाबी ही मिली है।

तीन वर्षों में प्रदेश से जब्त हुए अवैध हथियार

 वर्ष                         जब्त हथियार

2020                     36,680

2021                     37,574

2022                     38,473

अब तक 150 से ज्यादा अवैध हथियार हो चुके जब्त

राजधानी में हत्या, लूटपाट, हत्या का प्रयास समेत अन्य आपराधिक मामलों को सिलसिला बदस्तूर जारी है। आंकड़ें के मुताबिक ज्यादतर वारदातों में अवैध हथियार का इस्तेमाल किया जाता है। गुडंबा, इंदिरानगर, ठाकुरगंज, कैंट, गाजीपुर, हजरतगंज, वजीरगंज, पारा, दुबग्गा समेत शहर की विभिन्न थाना पुलिस आए दिन अवैध असलहे को पकड़ती है। सूत्रों की मानों तो लखनऊ कमिश्नरेट पुलिस 2023 से अबतक 150 से अधिक अवैध हथियारों को बरामद कर चुकी है।

इन तीन राज्यों से होती है अवैध हथियारों की सप्लाई

24 मई को यूपी स्पेशल टास्क फोर्स ने गोमतीनगर स्थित एमिटी यूनिवर्सिटी  के पास से माफिया शहाबुद्दीन और मुख्तार अंसारी गिरोह को हथियार मुहैया कराने वाले सप्लायर नीतेश भारती को गिरफ्तार किया था। इस दौरान आरोपित के पास से पांच अवैध पिस्टल और 32 बोर की पांच मैग्जीन बरामद की गई थी। पूछताछ के दौरान यह बात सामने आई कि अवैध असलहे की तस्करी यूपी के पूर्वांचल क्षेत्र के अलावा बिहार, पंजाब हरियाणा से होती है, लेकिन यह साफ नहीं हो सका कि अवैध हथियारों को कहां पर बनाया जाता है।

बच्चों पर रखें विशेष ध्यान

मनोवैज्ञानिक डॉ. सृष्टि श्रीवास्तव का कहना है कि अभिभावक अपने बच्चों से बेहद प्यार करते हैं, उन्हें अपने बच्चों की पसंद का पूरा ख्याल रखना चाहिए। अभिभावक बच्चों की मांगें पूरा कर देते हैं, यही मांगे बच्चों के मर्म उनके स्वभाव को जिद्दी बना देती हैं। लाड़-प्यार के चलते मना करने पर बच्चे आत्मघाती कदम उठा लेते हैं। जिसके बाद अभिभावकों को ताउम्र पछतावा होता है। कहा कि अभिभावक बच्चों को समझाएं और आत्मविश्वास बढ़ाकर उन्हें उनके पैरों पर खड़ा करें। बच्चों को यह भी बताना बेहद आवश्यक है कि जीवन में संघर्ष करके ही मुकाम हासिल किया जाता है।

हथियारों का न करें प्रदर्शन

पुलिस उपायुक्त उत्तरी (डीसीपी नार्थ) अभिजीत आर शंकर का कहना हे कि अगर किसी के पास लाइसेंसी हथियार है, तो उसे बच्चों और युवाओं की पहुंच से दूर रखें। बच्चों के सामने हथियारों को प्रदर्शन बिल्कुल भी न करें। अवैध हथियार रखना कानूनन अपराध है।

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