Kanpur: आईआईटी बना रहा इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए वायरलेस चार्जिंग सिस्टम, चार पैर के रोबोट व कैंसर की दवा पर भी चल रहा काम

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Shukla
On

आईआईटी कानपुर और एनवाईयू टंडन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग ने शुरू की नई साझेदारी

कानपुर, अमृत विचार। आईआईटी कानपुर और एनवाईयू टंडन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग ने अपनी नई साझेदारी शुरू करने की घोषणा की है। इस दौरान दोनो ही संस्थानों ने अपने सात प्रोजेक्ट के बारे में भी बताया। इनमें चार पैर वाला रोबोट और कैंसर की दवा बनाने के लिए किए जा रहे कार्यों की प्रगति रिपोर्ट भी साझा की गई। घोषणा के दौरान संस्थान की ओर से बनाए जाने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए वायरलेस चार्जिंग सिस्टम के बारे में भी बताया गया। 

संस्थान की ओर से बताया गया कि दोनों संस्थान के शोधकर्ताओं द्वारा संयुक्त रूप से संचालित सात परियोजनाओं का उद्देश्य साइबर सुरक्षा, जैव प्रौद्योगिकी, आर्टफिशल इन्टेलिजन्स, रोबोटिक्स और वायरलेस संचार सहित महत्वपूर्ण वैज्ञानिक क्षेत्रों में नवाचारों को आगे बढ़ाना है। 

दोनों ही संस्थानों के बीच जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान साझेदारी हुई थी। उस दौरान एनवाईयू और आईआईटी कानपुर ने सितंबर 2023 में अपने शुरुआती साझेदारी समझौते की घोषणा की थी। इसमें भारत और एसोसिएशन ऑफ अमेरिकन यूनिवर्सिटीज की ओर से इस तरह के और अधिक सहयोग के लिए जोर दिया गया था। 

सिंथेटिक प्रोटीन होगा विकसित

दोनो ही संस्थान मिलकर सिंथेटिक प्रोटीन विकसित कर हैं। जो कैंसर जैसी बीमारियों से जुड़े हानिकारक प्रोटीन कॉम्प्लेक्स को नष्ट कर सकती है। कंप्यूटर मॉडल का उपयोग करके, वैज्ञानिक इन जटिल संरचनाओं के लिए इष्टतम आकार डिजाइन करते हैं, जिन्हें फिर प्रयोगशाला में बनाया और परीक्षण किया जाता है। 

चार पैर वाला रोबोट

परियोजना उन्नत मशीन लर्निंग तकनीकों का उपयोग करके चार पैरों वाले रोबोट तैयार कर रही है। सिमुलेशन के माध्यम से इस पर चल रहे शोध में टीम की ओर से उबड़-खाबड़ और अप्रत्याशित इलाकों में नेविगेट करने की क्षमता को बढ़ाया जा रहा है। 

वायरलेस सिस्टम-ऑन-चिप का विकास

प्रोजेक्ट के तहत हाई-रिज़ॉल्यूशन ब्रेन मोनिट्रिंग के लिए एक छोटा, वायरलेस सिस्टम-ऑन-चिप विकसित किया जा रहा है। यह डिवाइस एक छोटे से इम्प्लांट को वायरलेस पावर डिलीवरी में सुधार करने के लिए अभिनव विद्युत चुम्बकीय मेटास्ट्रक्चर को एकीकृत करता है। 

यातायात पर भी फोकस

यह परियोजना शहरी वीडियो कैमरों द्वारा कैप्चर किए गए ट्रैफ़िक दृश्यों की समझ को बढ़ाने के लिए उन्नत विज़न-लैंग्वेज मॉडल का उपयोग करती है। टीम का दृष्टिकोण कंप्यूटर विज़न मॉडल को शुरू से ही प्रशिक्षित करने की लागत और जटिलता को कम करना है। इस सहयोग में परिवहन और एआई के विशेषज्ञ शामिल हैं, जिसका उद्देश्य विशेष रूप से भारतीय ट्रैफ़िक स्थितियों में वाहन पहचान और ट्रैफ़िक घटना की पहचान करना है।  

वायरलेस चार्जिंग सिस्टम

शोधकर्ता इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के लिए एक इन्टेलिजेन्ट, सुरक्षित और कुशल वायरलेस चार्जिंग सिस्टम बना रहे हैं जो सौर ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को एकीकृत करता है। इस प्रणाली में उन्नत विदेशी वस्तु पहचान की क्षमता होगी, विद्युत चुम्बकीय परिरक्षण और कॉइल मिसलिग्न्मेंट को प्रबंधित करने की क्षमता होगी। 

फिजिकली अनक्लोनेबल फंक्शन का विकास

इस शोध टीम का उद्देश्य माइक्रोफ्लुइडिक बायोचिप्स और आपूर्ति श्रृंखला उत्पादों को प्रमाणित करने के लिए फिजिकली अनक्लोनेबल फंक्शन नामक अद्वितीय सुरक्षा सुविधाएं विकसित करना है। इसका लक्ष्य मज़बूत, मशीन लर्निंग-वर्धित डिज़ाइन के माध्यम से चिकित्सा निदान और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन में सुरक्षा और प्रमाणीकरण में सुधार करना है।

क्रिप्टोग्राफ़िक तकनीकों का विकास

यह परियोजना भविष्य में क्वांटम कंप्यूटिंग के खतरों के बावजूद सुरक्षित और निजी संगणना सुनिश्चित करने के लिए उन्नत क्रिप्टोग्राफ़िक तकनीकों को विकसित करने पर केंद्रित है। शोधकर्ता विभिन्न हार्डवेयर प्लेटफ़ॉर्म के लिए अनुकूलित कुशल पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी और होमोमॉर्फिक एन्क्रिप्शन योजनाएं डिज़ाइन करेंगे। यह परियोजना गोपनीयता-संरक्षण तकनीकों को व्यावहारिक और कुशल बनाने का प्रयास करती है।

यह भी पढ़ें- Kanpur: बीडीओ का सीयूजी रहा स्विच ऑफ, जिलाधिकारी हुए नाराज, सीडीओ से बोले- निलंबन की संस्तुति करो...

 

संबंधित समाचार