तिरंगे का अपमान करने वाले आरोपियों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही रद्द करने से हाईकोर्ट ने किया इनकार

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Published By Deepak Mishra
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प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तिरंगे का अपमान करने के आरोपी 6 मुस्लिम पुरुषों के खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने से इनकार करते हुए कहा कि भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा धार्मिक नैतिकता और सांस्कृतिक मतभेदों से परे राष्ट्र की एकता और विविधता का प्रतीक है। तिरंगे के प्रति अनादर का कृत्य दूरगामी सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव डाल सकता है। 

कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसी घटनाओं का फायदा वे लोग उठा सकते हैं जो सांप्रदायिक कलह उत्पन्न करना चाहते हैं या विभिन्न समुदायों के बीच गलतफहमियों को बढ़ावा देकर देश की अखंडता और संप्रभुता को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। मौजूदा मामले में याचियों का कृत्य भारतीय ध्वज संहिता, 2002 के तहत दंडनीय है।

याचियों द्वारा राष्ट्रीय सम्मान के अपमान की रोकथाम अधिनियम, 1971 की धारा 2 का उल्लंघन किया गया है।  उक्त आदेश न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की एकलपीठ ने गुलामुद्दीन और पांच अन्य की याचिका को खारिज करते हुए पारित किया। मालूम हो कि याचियों पर कथित तौर पर धार्मिक जुलूस में अपने हाथों में तिरंगा लेकर चलने का आरोप है, जिस पर कुरान की आयतें लिखी थीं।

हालांकि याचियों के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि जांच से यह पता नहीं चलता है कि प्राथमिकी में उल्लिखित झंडा तिरंगा है या तीन रंगों वाला कोई अन्य झंडा है, साथ ही पुलिस रिकॉर्ड पर ऐसा कोई साक्ष्य भी नहीं है, जिससे यह स्पष्ट होता हो कि अधिनियम, 1971 की धारा 2 और 3 के तहत राष्ट्रीय ध्वज के साथ कोई छेड़छाड़ की गई है।

याचियों के अधिवक्ता ने यह भी तर्क दिया कि पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज होने के बाद राष्ट्रीय ध्वज लगाया और याचियों को मामले में झूठा फंसाया गया, जबकि सरकारी अधिवक्ता ने बताया कि तिरंगे को कब्जे में लेने के बाद यह देखा गया कि उस पर कुछ अरबी पाठ लिखा हुआ था, जिसे लिपिबद्ध करने पर ज्ञात हुआ कि उस पर आयतें और कलमा लिखा था।

अंत में कोर्ट ने यह निष्कर्ष निकाला कि मामले पर केवल ट्रायल कोर्ट द्वारा ही पर्याप्त रूप से विचार कर निर्णय दिया जा सकता है, साथ ही पारित सम्मन आदेश में कोई अवैधता, विकृति या अन्य कोई त्रुटि नहीं है, जिसके कारण कोर्ट सीआरपीसी की धारा 482 के तहत हस्तक्षेप करे। अतः याचिका को आधारहीन मानते हुए खारिज कर दिया गया।

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