Sabarmati Express Derail: हादसों की कई स्तरों पर जांच पर नहीं तय हो सके जिम्मेदार...समय बीतने के बाद ठंडे बस्ते में चली जाती

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Published By Nitesh Mishra
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कानपुर के आसपास कई हादसे हुए पर समय बीतने के साथ ठंडे बस्ते में चली गई जांच

कानपुर, अमृत विचार। कानपुर के आसपास पिछले कुछ वर्षों में कई ट्रेन हादसे का शिकार हुई हैं। इनमें बड़ी संख्या में बेगुनाह यात्रियों की जानें चली गईं। लेकिन इन हादसों का कारण और यात्रियों की मौत का जिम्मेदार कौन है, इसका खुलासा कई स्तरों पर जांच किए जाने के बाद भी आज तक नहीं हो सका है। इसका मुख्य कारण यह है कि रेलवे की जांच वर्षों चलती है।  
 
वर्ष 2010 : पनकी स्टेशन के पास गोरखधाम एक्सप्रेस और प्रयागराज एक्सप्रेस आपस में टकरा गई थीं।  हादसे में 10 लोगों की मौत हो गई थी और 51 लोग घायल हो गए थे। 
10 जुलाई 2011 : मलवां में हावड़ा से दिल्ली की तरफ़ आ रही कालका मेल पटरी से उतर गई थी। घटना में 70 लोगों की मौत हुई थी।
20 नवंबर 2016 : पुखरायां में पटना-इंदौर एक्सप्रेस के 14 डिब्बे पटरी से उतर गए। इस हादसे में 152 लोगों की मौत हुई थी।
28 दिसंबर 2016 : कानपुर-इटावा के बीच रूरा स्टेशन के पास अजमेर-सियालदाह एक्सप्रेस हादसे का शिकार हुई थी। इसमें 2 यात्रियों की मौत और दो दर्जन से अधिक घायल हुए थे।
31 दिसंबर 2017 : अनवरगंज-फर्रुखाबाद रूट में मंधना के पास ट्रैक को काटकर ट्रेन को डिरेल करने की साजिश रची गई थी। मौके से आरपीएफ व जांच टीम को लोहा काटने वाली आरी बरामद हुई थी।
19 अप्रैल 2019 : पूर्वा एक्सप्रेस के रूमा स्टेशन के पास 15 कोच बेपटरी हो गए थे। हादसे में 100 लोग से ज्यादा घायल हो गए थे। 

पुखरायां में इंदौर पटना एक्सप्रेस साजिश के चलते हुई थी डी रेल

पुखरायां में साजिश के तहत 22 नवंबर 2016 को इंदौर पटना एक्सप्रेस हादसे का शिकार हुई थी। इस हादसे में 152 यात्रियों की जान चली गई थी। दुर्घटना में आतंकी साजिश का पदार्फाश हुआ था। नेपाल पुलिस ने शमसुल हुदा को गिरफ्तार किया था। 

पुखरायां में इंदौर-पटना एक्सप्रेस हादसे की जांच राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) ने की। आरोप है कि इस ट्रेन हादसे को अंजाम देने के लिए आईएसआई के इशारे पर शमसुल हुदा ने फंडिंग की थी। इंदौर-पटना एक्सप्रेस सप्ताह में दो दिन चलती है। 20 नवंबर 2016 को रात लगभग 3.10 बजे पुखरायां में ये ट्रेन पटरी से उतर गई थी। ट्रेन की स्पीड अधिक होने के कारण हादसे में 150 यात्री मारे गये थे, जबकि सैकड़ों यात्री घायल हुए थे। ट्रेन में फंसे यात्रियों को निकालने के लिए कोचों को काटना पड़ा था।

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