Kanpur: रेल हादसा: लखनऊ से पहुंची फोरेंसिक टीम, घटनास्थल पर किया सीन रिक्रिएट, IB, ATS व SIT टीम ने भी की जांच

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Shukla
On

कानपु्र, अमृत विचार। पनकी थानाक्षेत्र में गोविंदपुरी और भीमसेन के बीच चार दिन पूर्व शनिवार देर रात ढाई बजे साबरमती एक्सप्रेस डिरेल हो गई थी। इस मामले में रेलवे की टेक्निकल टीम, एसआईटी और अलग-अलग जांच एजेंसियां बारीकी से हादसे या साजिश की जांच कर रही है। मामले में रोज अफसरों का निरीक्षण हो रहा है, और सीन रिक्रिएट किया जा रहा है। लेकिन अभी तक अफसर किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं।   
 
मंगलवार को डीसीपी पश्चिम राजेश कुमार सिंह की दस सदस्यीय एसआईटी टीम लखनऊ और कानपुर के फोरेंसिक एक्सपर्ट के साथ घटनास्थल पर पहुंचे और ट्रैक का निरीक्षण किया। इस दौरान आईबी, एटीएस, आरपीएफ और कई जांच अधिकारी मौजूद रहे। तकरीबन पांच घंटे तक फोरेंसिक के साथ जांच एजेंसियां जांच में जुटी। रेल हादसे में साजिश की आशंका को लेकर एक-एक पहलू पर जांच की। 

ट्रेन के पायलट और असिस्टेंट पायलय ने बताया था कि पटरी पर पर बड़ा गार्डर नुमा कुछ रखा हुआ था। इसके चलते इमरजेंसी ब्रेक लगाने पर ट्रेन के 22 कोच बेपटरी हो गए थे। ट्रेन को पलटाने की साजिश की आशंका पर रेल विभाग की ओर से पनकी थाने में अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी। डीसीपी के साथ लखनऊ से आई फोरेंसिक टीम एक्सपर्ट ने पटरी पर पटरी के टुकड़े को रखकर देखा और सीन रिक्रिएट किया। 

क्लैंप से उसे कसकर भी देखा गया। टीमों ने केस का नजरी-नक्शा भी तैयार किया। एक-एक बिंदु पर पांच घंटे से ज्यादा टीमों ने जांच की। इस दौरान एसीपी पनकी श्वेता कुमारी, एसीपी कल्याणपुर अभिषेक कुमार पांडेय, पनकी इंस्पेक्टर मानवेंद्र सिंह आदि थे। 

मालूम हो कि 17 अगस्त की रात 2.30 बजे गोविंदपुरी-भीमसेन स्टेशन के मध्य ट्रेन नंबर 19168 साबरमती एक्सप्रेस के साथ हुई दुर्घटना में ट्रेन के 22 डिब्बे पटरी से उतर गए थे। दुर्घटना के समय मिली संदिग्ध लोहे की पटरी को लेकर साजिश की आशंका जताई जा रही थी। जिसको लेकर जांच चल रही है। 

कहीं रेलवे तो नहीं छिपा रहा अपनी गलती 

सूत्रों ने बताया कि अभी तक की जांच में यह सामने आया है, कि इस हादसे से 71 मिनट पहले ही एक ट्रेन इसी ट्रैक से गुजरी थी। तब वह ट्रेन आसानी से निकल गई। लेकिन इसके बाद रात में ऐसा क्या हुआ कि साबरमती एक्सप्रेस डिरेल हो गई। अफसरों का कहना है, कि इतनी जल्दी 80 किलो से ज्यादा की लोहे की पटरी ट्रैक पर कैसे पहुंच गई। जबकि वह घटनास्थल से काफी दूर पड़ी थी। 

चार दिनों की जांच में अब तक उस पटरी पर कहीं भी रगड़ के निशान तक नहीं मिले हैं। इंजन के नीचे का हिस्सा बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हुआ। इस पर इमरजेंसी ब्रेक लगानी पड़ी। तो वहीं ट्रेन के आखिरी छोर का हिस्सा कैसे क्षतिग्रस्त हो गया। पुलिस अफसर भी यह कहीं न कहीं मान रहे हैं, कि रेलवे में कोई टेक्निकल फॉल्ट हुई है। जिसके बाद उसने पूरे मामले में साजिश की आशंका जता दी। 

100 ज्यादा सीसीटीवी खंगाले संदिग्धों से पूछताछ

ट्रेन हादसे के बाद जैसे ही जानकारी अफसरों को हुई तो लखनऊ से लेकर दिल्ली तक हड़कंप मच गया। पायलट से अलग-अलग टीमों ने पूछताछ की तो उसने जानकारी दी कि कोई चीज ट्रैक पर थी, जिसके कारण उसे इमरजेंसी ब्रेक लगाना पड़ा। इसके बाद हादसे में साजिश की आशंका की बू आने लगी। 

इस पर पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार, एडिशनल पुलिस कमिश्नर हरीश चंदर, डीसीपी पश्चिम राजेश कुमार सिंह ने निरीक्षण किया और अपने स्तर से भी जांच शुरू की। डीसीपी पश्चिम के नेतृत्व में 10 सदस्यीय एसआईटी गठित की गई। जिसने जांच शुरू की। मामले में अब तक 100 से ज्यादा सीसीटीवी खंगाले जा चुके हैं और लगभग 50 से ज्यादा संदिग्ध लोगों से पूछताछ की जा चुकी है।

यह भी पढ़ें- संभलः अन्तर्राज्यीय गैंग की तीन चेन लुटेरी महिलाओं समेत चार गिरफ्तार, कई राज्यों में वारदातों को अंजाम दे चुका है गिरोह


संबंधित समाचार