Health Tips: इसे खाने से मजबूत होती रोग प्रतिरोधक क्षमता...दिमाग का होता विकास, खून की कमी व रोग होते दूर

Health Tips: इसे खाने से मजबूत होती रोग प्रतिरोधक क्षमता...दिमाग का होता विकास, खून की कमी व रोग होते दूर

कानपुर, अमृत विचार। मौसम में हो रहे बदलाव की वजह से लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित हो रही है, जिसकी वजह से संक्रामक रोग वर्तमान में काफी हावी है, जिसकी गिरफ्त में आकर प्रतिदिन लोग सरकारी व निजी अस्पतालों में इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। 

बचाव के लिए इस मौसम में सहजन का सेवन करना किसी वरदान से काम नहीं है। खासकर गर्भवती व बच्चों के लिए है। क्योंकि इससे सेवन से न सिर्फ दिमाग का विकास होता है, बल्कि शरीर में खून की कमी भी दूर होती है। 

शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को पुष्टाहार व बेहतर पोषण की जानकारी अवगत कराने के लिए बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा पोषण माह के तहत कार्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है, जिसके तहत जिले के 2134 आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषण वाटिका संचालित है। 

वहीं, 1075 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता लोगों को पोषण माह के तहत पोषण युक्त सब्जियों व खाद्य पदार्थों के सेवन के प्रति जागरूक करने का काम कर रही है। जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) दुर्गेश प्रताप सिंह ने कहा कि इस मौसम में सहजन काफी फायदेंमंद है। सहजन खाने से दिमाग का विकास होता है। इसके साथ ही खून की कमी दूर होती है। 

शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिससे सर्दी, खांसी, फ्लू व अन्य वायरस से बचाव होता है। साथ ही हड्डियां मजबूत होती हैं। गर्भावस्था, धात्री व बच्चों में कुपोषण की समस्या को दूर करने के लिए सहजन व सहजन की पत्तियां अत्यंत लाभदायक होती हैं। इसमें एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो संक्रमण में रक्षा करते हैं। 

सहयोगी संस्था यूनिसेफ के मंडलीय समन्वयक आशीष शुक्ला ने बताया कि पोषण वाटिका का उद्देश्य घरेलू स्तर पर पोषण संबंधी सब्जी प्रयोग की महत्ता बढ़ाना है, जिससे लोग घरेलू स्तर पर ही पोषण युक्त सब्जियां उगाकर उसका प्रयोग करे। सहजन की पत्तियों में काफी मात्रा में विटामिन, कैल्शियम और फास्फोरस पाया जाता है, जो शरीर को काफी मजबूती देता है।  

पोषण अभियान का उद्देश्य जिले को कुपोषण मुक्त बनाना 

डीपीओ ने बताया कि पोषण माह के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका बच्चों व महिलाओं के पोषण में सुधार के लिए निरंतर काम कर रही हैं। इसके साथ ही अति कुपोषित बच्चों का चिन्हिकरण कर उनका संदर्भन कर रहीं हैं। 

पोषण अभियान का एकमात्र उद्देश्य जिले को कुपोषण मुक्त बनाना है। इसी के तहत पोषण वाटिका (किचन गार्डन) लगाने पर भी जोर दिया जा रहा है, जिसमें सहजन, गिलोई और तुलसी का पौधा लगाने पर जोर है। 

सहजन के सेवन से होता नर्वस सिस्टम में सुधार

डफरिन की सीएमएस डॉ.रूचि जैन ने बताया कि गर्भवती व धात्री महिलाओं और कम आयु के बच्चों को पोषक तत्वों की जरूरत एक सामान्य व्यक्ति से काफी ज्यादा होती है। इस अवस्था में यदि सहजन का उपयोग दैनिक आहार में किया जाए तो मां और गर्भ में पल रहे बच्चे का विकास होगा। सहजन के सेवन से नर्वस सिस्टम में सुधार होता है। सहजन कुपोषण को दूर भगाने में अहम योगदान है। 

सहजन में मुख्य गुण

-दही से भी दोगुना अधिक प्रोटीन
-गाजर से भी चार गुना अधिक विटामिन ए
-दूध से भी चार गुना अधिक कैल्शियम
-संतरा से भी सात दूना अधिक विटामिन सी
-कोलेस्ट्रोल बढ़ने का प्रतिशत शून्य होता है।

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