प्रयागराज: नवजात बच्ची के नाम पर दो लाख जमा करने की शर्त पर आरोपी को HC ने दी जमानत
प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने वाले आरोपी को जमानत देते हुए यह स्पष्ट किया कि वह जेल से रिहा होने के बाद पीड़िता से शादी करेगा और अपने नवजात शिशु की देखभाल करेगा। कोर्ट ने मामले पर विचार करते हुए कहा कि ऐसे मामलों में चुनौती शोषण के वास्तविक मामलों और सहमति से बने संबंधों के मामलों के बीच अंतर करने की है। न्याय सुनिश्चित करने के लिए सूक्ष्म दृष्टिकोण और सावधानीपूर्वक न्यायिक विचार की आवश्यकता होती है। किसी व्यक्ति को तब तक निर्दोष माना जाता है, जब तक कि उसका अपराध सिद्ध ना हो जाए।
संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार किसी व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार को केवल इस आधार पर नहीं छीना जा सकता कि उस व्यक्ति पर अपराध करने का आरोप है। न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की एकलपीठ ने अभिषेक की याचिका इस शर्त पर स्वीकार की कि वह जेल से रिहा होने के 3 महीने के भीतर पीड़िता से विवाह करेगा और उसकी नवजात बच्ची की देखभाल करेगा, साथ ही जेल से रिहा होने की तिथि से 6 महीने की अवधि के भीतर पीड़िता के वयस्क होने तक उसके नवजात शिशु के नाम पर 2 लाख रुपए की सावधि राशि जमा करेगा।
दरअसल याची पर आरोप है कि शिकायतकर्ता की बेटी से शादी का झूठा वादा करके उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए, जिससे पीड़िता गर्भवती हो गई और आरोपी ने कथित तौर पर शादी का वादा पूरा करने से इनकार कर दिया। इसके बाद शिकायतकर्ता ने आईपीसी और पोक्सो एक्ट के तहत पुलिस स्टेशन चिलकाना, सहारनपुर में दुष्कर्म का मामला दर्ज करवाया। शिकायतकर्ता का दावा है कि उसकी बेटी की उम्र 15 वर्ष है जबकि याची के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि अस्थिकरण परीक्षण से पीड़िता की उम्र 18 वर्ष निर्धारित हुई है, साथ ही सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज किए गए बयान में पीड़िता ने उस पर किसी भी प्रकार के बल प्रयोग से इनकार किया है। इसके अलावा याची के अधिवक्ता ने यह भी बताया कि याची पीड़िता की जिम्मेदारी लेने और उससे शादी करने को तैयार है। जमानत का दुरुपयोग न होने की संभावना को देखते हुए कोर्ट ने याची की जमानत याचिका स्वीकार कर ली।
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