बरेली: हाउस टैक्स : नगर निगम की गलती... लपेटे में जनता

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Published By Pradeep Kumar
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सुधरने का नाम नहीं ले रहीं बिलों में गड़बड़ियां, ऊपर से स्वकर प्रणाली सुविधा 31 अक्टूबर को खत्म करने की घोषणा

 बरेली, अमृत विचार । टैक्स के बिलों में लगातार गड़बड़ियों के बीच स्वकर प्रणाली के तहत टैक्स जमा की अदायगी की सुविधा 31 अक्टूबर को बंद कर देने की घोषणा पर नगर निगम का माहौल मंगलवार को फिर एकाएक गरमा गया। पार्षद राजेश अग्रवाल की अगुवाई में तमाम व्यापारियों ने नगर निगम में प्रदर्शन कर आरोप लगाया कि टैक्स विभाग मनमाने ढंग से बिल तैयार कर रहा है जिन्हें ठीक कराने के लिए लोगों को बेवजह चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने ज्ञापन देकर चेतावनी दी कि अगर समस्या का फौरन समाधान न किया गया तो नगर निगम के खिलाफ आंदोलन शुरू किया जाएगा।


अपर नगर आयुक्त सुनील कुमार यादव और सीटीओ प्रदीप मिश्रा को पार्षद राजेश अग्रवाल ने बताया कि नगर निगम अधिनियम ओर नियमावली में स्वकर फार्म के जरिए टैक्स भरना लोगों का अधिकार है जिसे बंद नहीं किया जा सकता है, लेकिन इसके बावजूद यह सुविधा 31 अक्टूबर को बंद करने की बात कही जा रही है। उन्होंने कहा की मिलान न होने के कारण कर निर्धारण सूची में काफी संख्या में भवन शामिल नहीं हैं। टैक्स विभाग के इंस्पेक्टर मनमानी कर हैं जबकि स्वकर प्रणाली इसी को खत्म करने के लिए बनाई गई है।

पार्षद ने आरोप लगाया कि नियमों का उल्लंघन कर लोगों पर अनापशनाप हाउस टैक्स लगाया जा रहा है। यह सिलसिला बंद न हुआ तो नगर निगम के खिलाफ आंदोलन शुरू किया जाएगा। ज्ञापन देने वालों में शिवनाथ चौबे, मनजीत, राजीव मोहन, रोहित राजपूत, पम्मी वारसी, गौहर अली, संजय आनंद, महेश यादव, नदीम प्रिंस, दिनेश, मोहम्मद नासिर, अजीत अग्रवाल, अरुण शर्मा, अरविंद अग्रवाल, सुमन मेहरा, राजेश भाटिया, अंशु सक्सेना, अरविंद अग्रवाल, जफर समसी, अमित अग्रवाल, जोयेल प्रथमेश गुप्ता, दीपक राठौड़, मनोज कुमार रुस्तम, मनोज गुप्ता, रमेश, डॉक्टर सत्येंद्र, तनुज शर्मा, नावेद बेग, सत्येंद्र शास्त्री आदि प्रमुख रूप से थे

व्यापारियों के आरोप और सीटीओ की सफाई

आरोप : ऐसे व्यवसायिक भवन जो किराए पर नहीं उठे हैं, नगर निगम उन पर भी टैक्स लागू कर रहा है जो गलत है। सदन में भी यह प्रस्ताव पारित हो चुका है कि ऐसे भवनों पर टैक्स नहीं लगेगा लेकिन फिर भी व्यावसायिक भवनों पर पांच गुना टैक्स लिया जा रहा है।
सफाई: मुख्य नगर लेखा परीक्षक से इस संबंध में राय ली जा रही है।

आरोप : स्वकर फार्म जमा कर रहे लोगों का शोषण किया जा रहा है। इसके प्रमाण भी उपलब्ध हैं।
सफाई: अगर ऐसा हो रहा है तो इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कुछ लोग सत्यता छिपाकर स्वकर फार्म भर रहे थे इसलिए हमे कुछ सख्ती करनी पड़ी रही है।

आरोप: हजारों भवनों का मिलान नहीं हुआ है फिर उनकी टैक्स निर्धारण सूची किस तरह बन गई। ऐसी कोई सूची आज तक सार्वजनिक नहीं हुई है जिस पर अधिकारियों ने साइन किए हों। अगर ऐसी कोई सूची है तो दिखाई जाए।
सफाई : ऐसी टैक्स निर्धारण सूची है जिसे दिखा दिया जाएगा।

आरोप : लोगों को बेवजह चक्कर लगवाए जाते हैं, जोन 3 और 4 पर जिम्मेदार लोग नहीं मिलते हैं। ऑनलाइन हाउस टैक्स जमा करने के बाद भी नगर निगम की साइट पर न रसीद जनरेट नहीं हो रही है और न ही बैलेंस कम हो रहा है।
सफाई: मुख्य कर निर्धारण अधिकारी इसे दूर कराने का आश्वासन दिया।

बिल में संशोधन कराओ या छूट पाओ
नगर निगम ने अपनी आय बढ़ाने के चक्कर में जीआईएस सर्वे तो लागू कर दिया है लेकिन अब बिल संशोधित कर टैक्स जमा करने की गति इतनी धीमी है कि 31 अक्टूबर तक मिलने वाली छूट की समयसीमा खत्म हो जाने का अंदेशा पैदा हो गया है। अब तक काफी संख्या में लोगों के फार्म सुधार के लिए लंबित पड़े हुए है। टैक्स विभाग में अब तक आठ हजार से ज्यादा आपत्तियां दी जा चुकी हैं। लोग हर रोज स्वकर फार्म जमा कर बिल संशोधित कराने के लिए नगर निगम के चक्कर लगा रहे हैं।

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