Kanpur में 1000 करोड़ की जमीन पर कब्जे का मामला: अवनीश दीक्षित समेत 13 आरोपियों पर दो चार्जशीट दाखिल, ये दोनों बने मुख्य आरोपी...
कानपुर, अमृत विचार। कोतवाली थानाक्षेत्र में स्थित सिविल लाइंस में मैरी एंड मैरीमैन कंपाउंड की एक हजार करोड़ की बेशकीमती जमीन पर कब्जा करने के मामले में कानपुर प्रेसक्लब के पूर्व अध्यक्ष अवनीश दीक्षित समेत 13 साथियों के खिलाफ शुक्रवार को सीजेएम कोर्ट में 3200 पन्ने की चार्जशीट दाखिल की है। इस गंभीर मामले में सभी आरोपियों को डकैती समेत अन्य संगीन धाराओं में मुल्जिम बनाया गया है।
वहीं पुलिस संगठित अपराध के लिए गिरोह बनाने की धारा में भी चार्जशीट दाखिल कर दी है। पूरे मामले में दो चार्जशीट दाखिल की गई है। कोतवाली इंस्पेक्टर संतोष शुक्ला के अनुसार इस मामले में अवनीश दीक्षित और फरार एक लाख के इनामिया हरेंद्र मसीह का मुख्य आरोपी बनाया गया है। बताया कि आरोपी मोहित बाजपेई पर चार्जशीट लगाना बाकी रह गई है। जल्द ही पूरक चार्जशीट दाखिल की जाएगी।
इनके आरोपियों के खिलाफ दाखिल की गई चार्जशीट
कोतवाली पुलिस के अनुसार कब्जाकांड में हरेंद्र मसीह, पूर्व प्रेसक्लब अध्यक्ष अवनीश दीक्षित, राहुल वर्मा, मौरिस एरियल, कमला एरियल, अभिषेक एरियल, अर्पण एरियल, जीतेश झा, संदीप शुक्ला, विक्की चार्ल्स, अब्बास, जितेन्द्र और विवेक पांडेय के खिलाफ पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की है।
28 जुलाई को कब्जे करने के मामले में हुई थी दो एफआईआर
28 जुलाई को मैरी एंड मैरीमैन कंपाउंड की जमीन पर कब्जा करने के लिए अवनीश दीक्षित अपने गुर्गों के साथ मौके पर पहुंचे थे। यहां उसने गार्ड संजय को बंधक बनाकर ताला डाल दिया था। साथ ही डीवीआर उठा ले गए थे। इस मामले में विपक्ष ने जमकर हंगामा काटा था। इसके बाद मिशनरी में इसकी शिकायत की थी। रात में ही कोतवाली पुलिस ने लेखपाल विपिन कुमार की तहरीर पर कुल 33 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। इसमें 13 नामजद व 20 अज्ञात शामिल थे। वहीं दूसरी एफआईआर सैमुएल गुरुदेव सिंह ने 37 आरोपियों के खिलाफ डकैती समेत अन्य संगीन धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई थी। इसमें 37 में 25 अज्ञात शामिल हैं।
आरोपी संदीप शुक्ला के बयान और दस्तावेजों को अहम सबूत बनाया
कोतवाली इंस्पेक्टर संतोष शुक्ला ने बताया कि जमीन की लिखापढ़ी, लीज के कागज, अवनीश की पावर ऑफ एटार्नी, बैंक में लेन देन के सबूत, जमीन कब्जाने के लिए बनाई गई श्री आनंदेश्वर एसोसिएट्स कंपनी के दस्तावेज को अहम सबूत बनाया गया है। इसी तरह डकैती को साबित करने के लिए वीडियो फुटेज, वहां पर मौजूद लोगों के बयान और आरोपी संदीप शुक्ला के बयान को आधार बनाया है। जिसमें उसने बताया है कि अवनीश दीक्षित के कहने पर ही उसने घटना वाले दिन सीसीटीवी फुटेज वाली डीवीआर गंगा में फेंक दी थी। वैज्ञानिक सबूतों को मजबूत कर आरोपियों की सीडीआर रिपोर्ट दाखिल की गई है।
संगठित अपराध धारा को साबित करने को 2010 की एफआईआर को माध्यम बनाया
अवनीश दीक्षित और उसके साथियों के खिलाफ संगठित अपराध (111) की धारा को साबित करने के लिए पुलिस ने वर्ष 2010 की एक एफआईआर को माध्यम बनाया है। जिसमें बताया गया कि हरेंद्र मसीह ने वर्ष 2010 में भी जमीन को बेचने का प्रयास किया था। जिसमें एफआईआर दर्ज हुई थी। बाद में वह रिपोर्ट खत्म कर दी गई थी। इसके जरिए पुलिस ने यह दर्शाया कि आरोपी संगठित गिरोह बनाकर अपराध करने में माहिर है।