Madrasa Board : सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दिल से इस्तकबाल

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Published By Vinay Shukla
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उच्चतम न्यायालय द्वारा हाईकोर्ट के निर्णय केा खारिज करने का किया स्वागत

बाराबंकी, अमृत विचार: सुप्रीम कोर्ट के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए उत्तर प्रदेश मदरसा एक्ट को सांविधानिक करार दिया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का मदरसा शिक्षकों के साथ ही मुस्लिम समाज के लोगों ने भी स्वागत किया है। 

अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अनुसार जिले भर में 321 मदरसे हैं। इनमें 22 मदरसे अनुदानित हैं। इन मदरसों में मुंशी, मौलवी, आमिल, कामिल, फाजिल दर्जे में हजारों की संख्या में छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इसके अलावा पर्याप्त संख्या में शिक्षक, कर्मचारी भी तैनात हैं। बीते 22 मार्च को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2004 को असांविधानिक करार देते हुए धर्मनिरक्षेता के खिलाफ बताया था। इस पर मदरसा शिक्षकों ने सुप्रीम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। सुनवाई के दौरान पांच अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के इस फैसले पर रोक लगा दी थी। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने मदरसा बोर्ड केा सांविधानिक करार देते हुए फैसला सुनाया है।

कारी अब्दुल कदीर इस्मायली ने बताया कि हाईकोर्ट के फैसले से मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों को चिंता संताने लगी थी। बच्चों के भविष्य को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मदरसों के हक में फैसला सुनाया है। उच्च न्यायालय के फैसले का इस्तकबाल करते हैं। हाफिज सलाहुद्दीन रशीदी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने मदरसा शिक्षकों, बच्चों और कर्मचारियों के हित में फैसला सुनाया है। मदरसों में पढ़ने  वाले कई बच्चों ने देश भर में नाम रोशन किया है। और करते रहेंगे। कोर्ट का यह सु्प्रीम फैसला बच्चों के हित में है। वहीं मोहम्मद रेहान सिद्दीकी ने बताया कि मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को आधुनिक शिक्षा भी दी जा रही है। उच्च न्यायालय के फैसले की सराहना करते हुए तहे दिल से स्वागत करते हैं। माननीय न्यायालय का यह फैसला वास्तवा में राहत भरा है जो बच्चों के भविष्य से जुड़ा है।

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