KGMU: प्रेगनेंसी के दौरान एनीमिया का खतरा सबसे अधिक, 2021 में 45.9 प्रतिशत पहुंचा मातृ एनीमिया का आंकड़ा
लखनऊ, अमृत विचार: गर्भावस्था के दौरान एनीमिया का खतरा अधिक होता है। गर्भावस्था के दौरान तमाम महिलाओं में एनीमिया का पता चलता है। इसकी वजह से महिलाओं के साथ गर्भ में पल रहे शिशुओं की सेहत को भी खतरा रहता है। इससे बचने के लिए खान-पान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। डॉक्टर की सलाह पर गर्भवती आयरन की गोलियां खाएं। यह सलाह उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने दी।
होटल क्लार्क अवध में केजीएमयू के क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग, सोसाइटीज ऑफ इंडिया, फेडरेशन ऑफ ऑब्स्ट्रेटिक व गायनेकोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया की ओर से एनिमिया रिडक्शन पर आयोजित हुई कार्यशाला कोसंबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि एनीमिया गंभीर बीमारी है। इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है। सरकार एनीमिया के खात्मे के लिए कई कार्यक्रमों का संचालन कर रही है। इससे स्थितियों में थोड़ा सुधार जरूर आया है। उन्होंने कहा कि एनीमिया एक ऐसी स्थिति है जो प्रदेश में लगभग आधी गर्भवती महिलाओं को प्रभावित करती है। जो मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण जोखिम पैदा करती है। कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद ने कहा कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) के हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि मातृ एनीमिया के प्रसार में 2016 में 51 प्रतिशत था। जो 2021 में घटकर 45.9 प्रतिशत हो गया है। जो महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि एनीमिया को लेकर लोगों में जागरुकता पहले से बढ़ी है।
कमजोरी महसूस होने पर कराएं हीमोग्लोबिन की जांच
केजीएमयू क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. अविनाश अग्रवाल ने कहा कि आमतौर पर एनीमिया के लक्षण तब दिखाई देते हैं जब शरीर की कोशिकाओं में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। इससे मरीज को कमजोरी और थकान महसूस होती है। त्वचा का रंग सफेद या पीला होने लगता है। त्वचा में रूखापन और आसानी से नील पड़ने लगते हैं। अनियमित दिल की धड़कन और सांस लेने में कठिनाई होती है। कई बार मरीज के जीभ में छाले निकल आते हैं। लिहाजा इन लक्षणों को नजरंअदाज नहीं करना चाहिए। तत्काल हीमोग्लोबिन की जांच कराएं। फॉग्सी के अध्यक्ष डॉ. जयदीप टांक ने कहा कि एनीमिया से निपटने के लिए नई दवाएं आ गई हैं। जटिल एनीमिया से निपटने के लिए इलाज की नई तकनीक भी प्रचलन में है। डिजिटल हीमोग्लोबिनोमीटर से शरीर में खून की कमी का तुरंत सटीक पता लगाया जा सकता है। ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटेजीज के वाइस प्रेजिडेंट डॉ. जयदीप टेंक, केजीएमयू माइक्रोबायोलॉजी विभाग की डॉ. शुरुचि शुक्ला समेत 200 डॉक्टर मौजूद रहे।
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