Kanpur: मेगा लेदर क्लस्टर में नहीं फंसेगा जमीन का पेच, कंपनी ने अनुसूचित जाति की 11 बीघा जमीन खरीदने को जिलाधिकारी से मांगी अनुमति

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Published By Deepak Shukla
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कानपुर, अमृत विचार। रमईपुर में बीते 12 वर्षों से प्रस्तावित मेगा लेदर क्लस्टर की राह में अब आगे कोई बाधा नहीं आए, इसलिए कंपनी अब कोई पेंच नहीं छोड़ना चाहती है। यही वजह है कि कंपनी ने प्रोजेक्ट के लिए अनुसूचित जाति के लोगों से 11 बीघा भूमि खरीदने के लिए जिलाधिकारी से अनुमति मांगी है। 

जिलाधिकारी ने सदर तहसील स्तर पर हो रही इस जमीन की जांच में तेजी लाने का आदेश दिया है। हालांकि इससे पहले भी अनुसूचित जाति की जमीन प्रोजेक्ट के लिए खरीदी गई थी, लेकिन एसडीएम सदर ने यह कहते हुए दाखिल खारिज करने से इनकार कर दिया था कि जमीन बिना अनुमति लिए खरीदी गई है। 

वर्ष 2012 में शुरू हुई थी कवायद

लेदर क्लस्टर परियोजना की कवायद वर्ष 2012 में तब शुरू हुई थी, जब यूपी राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने मेगा लेदर क्लस्टर डेवलपमेंट यूपी लिमिटेड का गठन किया था। लेकिन प्रोजेक्ट की राह में लगातार रुकावटें आती रहीं। कुरौना बहादुर नगर, मगरासा और सेन पूरब पारा में 100 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में मेगा लेदर क्लस्टर परियोजना की स्थापना होनी है। 

यहां 35.238 हेक्टेयर भूमि ग्राम समाज की सुरक्षित श्रेणी की है, जिसके बदले में कंपनी को इतनी ही भूमि राजस्व विभाग को देनी है। जमीन की अदला-बदली के लिए अब कंपनी नए सिरे से नियमानुसार जमीन की खरीद कर रही है।

अनुसूचित जाति के लोगों से रद हुए पट्टे वाली भूमि खरीदी

प्रोजेक्ट के लिए कंपनी ने अनुसूचित जाति के लोगों को पट्टे पर दी गई वह जमीन खरीद ली थी, जिनका पट्टा रद किया जा चुका था। इसके साथ ही जिलाधिकारी की अनुमति लिए बिना अनुसूचित जाति के लोगों की जमीन भी खरीद ली गई थी। जिससे जमीन का दाखिल खारिज नहीं हो सका। कंपनी ने अब अनुसूचित जाति के लोगों से 11 बीघा जमीन खरीदने के लिए  जिलाधिकारी की अनुमति मांगी है।  

सुरक्षित श्रेणी की भूमि में अदला-बदली का पेच दूर

सुरक्षित श्रेणी की भूमि का उपयोग अगर किसी कार्य के लिए किया जाना है तो उसके बदले उतनी ही जमीन राजस्व विभाग को सुरक्षित कराई जाती है। भूमि की अदला-बदली भी उसी तहसील क्षेत्र में होनी चाहिए। 

लेदर क्लस्टर की स्थापना कुरौना बहादुर नगर, मगरासा और सेन पूरब पारा में होनी है और जमीन नर्वल तहसील में खरीद ली गई थी। इससे अदला-बदली की समस्या आई। जिलाधिकारी ने इस समस्या का समाधान किया गया। इसी तरह कड़री चंपतपुर के पांच किसानों की 2.1877 हेक्टेयर भूमि व सपई गांव के चार किसानों की 0.8200 हेक्टेयर भूमि के अभिलेख ही गायब मिले। 

उद्योगों की स्थापना में 5860 करोड़ रुपये

लेदर क्लस्टर के विकास पर 800 करोड़ और उद्योगों की स्थापना में 5860 करोड़ रुपये खर्च होंगे। मूलभूत सुविधाओं के लिए वाणिज्य मंत्रालय से 125 करोड़ की मदद मिलनी है। नमामि गंगे मिशन से 200 करोड़ रुपये कॉमन इफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना के लिए मिलेंगे। कॉमन फैसिलिटी सेंटर बनाने के लिए 50 करोड़ रुपये राज्य सरकार देगी।

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