बैनर और होर्डिंग्स में लटके रह गए दावेदार, कैसे होगी अब नैया पार

Amrit Vichar Network
Published By Pawan Singh Kunwar
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हल्द्वानी, अमृत विचार : कुमाऊं के सबसे बड़े शहर हल्द्वानी में दो बड़े चुनाव होते हैं, एक नगर निगम और दूसरा विधानसभा क्षेत्र का। नगर निगम सीट का दायरा विधानसभा क्षेत्र से भी बड़ा है। शहर के नेताओं का सपना रहता है वह इन दोनों ही चुनाव में से कम से कम किसी एक चुनाव में अपनी पार्टी के टिकट पर उतरें। इस बार भी भाजपा और कांग्रेस के जब दावेदारों के नाम मेयर पद के लिए सामने आए तो दोनों दलों से दावेदारों की सूची 58 नेताओं तक पहुंच गई। वो भी तब रहा जब कुछ नेताओं ने खुलकर दावेदारी नहीं की बल्कि अंदर ही अंदर टिकट के लिए अपनी लामबंदी कर रहे थे। इनमें से ज्यादातर नेता गैर ओबीसी श्रेणी के हैं। अब तो कई दावेदारों के चुनाव लड़ने का सपना केवल सपना साबित होता दिख रहा है। 

भाजपा की बात करें, तो भाजपा से नगर निगम मेयर पद पर लगातार दो बार चुनाव जीतकर जोगेंद्र सिंह रौतेला बड़ा चेहरा बन चुके हैं। उनका कद इतना बड़ा हो गया है कि पार्टी ने उन्हें मेयर रहते हुए लगातार दो बार विधानसभा चुनाव में भी उतारा, हालांकि वह चुनाव हार गए। इस बार भाजपा में कई नेताओं ने अपने सुर बुलंद किए और कहा कि हर बार एक ही नेता को दो चुनाव में उतारना ठीक नहीं है और नेताओं को भी मौका मिलना चाहिए। देखते ही देखते 27 दावेदारों की सूची भाजपा प्रभारी के पास पहुंच गई। इनमें से ज्यादातर सामान्य या अनुसूचित जाति श्रेणी के हैं। अब नगर निगम की सीट ओबीसी रिजर्व हो गई है। इनमें से कई दावेदार बाहर हो गए। अब केवल हल्द्वानी विधानसभा सीट का चुनाव का बचा। जहां से साल 2027 में जोगेंद्र रौतेला मजबूत दावेदारी करेंगे। ऐसे में कई भाजपा नेताओं के सामने बड़ी विडंबना वाली स्थिति बन गई है।

कांग्रेस में भी कुछ ऐसा ही है। हल्द्वानी विधानसभा सीट से सुमित हृदयेश विधायक हैं। ऐसे में अन्य कांग्रेसी नेताओं के सामने मेयर का चुनाव बड़ा विकल्प बचता है। कांग्रेस के दावेदारों की सूची में से भी कई नाम अब बाहर हो गए हैं। भाजपा और कांग्रेस के दावेदारों ने शहर में होर्डिंग लगा दिए थे और अपनी दावेदारी ठोक दी थी। अब उनकी नैया कैसे पार होगी यह भविष्य का प्रश्न है।

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