Lucknow: कोहरे में और बढ़ा बाघ का खौफ, घर में बीत रहे 19 घंटे

Amrit Vichar Network
Published By Muskan Dixit
On

लखनऊ, अमृत विचार: एक तो ठंड और उस पर घना कोहरा। दृश्यता 100 मीटर से कम होती जा रही है। ऐसे में रहमान खेड़ा में निकले बाघ के चलते उन गांव वालों की मुसीबत बढ़ गई है जहां पर इसके पग चिह्न मिले हैं। इन जगहों पर रह रहे लोग 19 घंटे अपने घरों में बिताने को मजबूर हैं। सुबह 11 बजे से दोपहर 4 बजे तक के समय ही गांव के लोग घर से बाहर निकल पा रहे हैं। बाघ की तलाश में बरती जा रही वन विभाग की लापरवाही ने गांव वालों की दिनचर्या प्रभावित कर दी है। आलम यह है कि गांव और वन विभाग कर्मचारियों के बीच दिन में कई बार नोंकझोंक हो रही है। ग्रामीण शिथिलता बरतने का आरोप लगा रहे हैं।

गांव वालों के अनुसार डीएफओ अवध और उनकी टीम शुरुआत में तो हम लोगों को सतर्क करने आती थी। बाघ की लोकेशन के साथ उसके आस-पास से न गुजरने की नसीहत देती थी। अब ये टीमें कभी-कभार ही आती हैं। हम लोग जब उनके पास जानकारी करने पहुंचते हैं। झिड़क कर मौके से भगा दिया जाता है। बाघ के साथ अब मौसम ने भी हमारे परेशानी बढ़ा दी है। सुबह 11बजे तक दृश्यता कम होने के कारण हम कहीं निकलने की हिम्मत नहीं कर पाते। निकलते भी हैं तो चार बजे तक हर हाल में घर पहुंचना होता है। उसके बाद फिर से कोहरा गहराने लग जाता है।

गांव में जनजीवन तहस-नहस हो गया है। बाघ के डर से हम लोगों को दिन भर में तीन से चार घंटे ही बाहर के कार्यों के लिए मिल रहे हैं। गाय-बैलों को घर के अंदर और बाहर करने में ही अच्छा खासा समय लग जाता है।
जितेंद्र रावत, कुशमौरा गांव

दिन में एक दो काम ही बाहर के हो पाते हैं। आठ दस किमी दूर किसी काम से चले गए तो लौटने की चिंता लगी रहती है। कोहरे में जब दिन में नहीं दिख रहा तो रात में क्या दिखेगा।
दिवाकर सिंह, गुरुदीन खेड़ा

तकरीबन एक महीने बीत गया है। कोहरा बढ़ता जा रहा है। जानवरों का चारा लेने और लकड़ी के लिए भी गांव के लोगों को दूर जाना पड़ता है। तीन चार घंटे में सब कुछ संभव नहीं है।
नीरज भारती, आजमपुर

पहले शाम तक गांव में छोटे बच्चे खेलते थे। अब शाम चार बजे ही घर के कमरों में बंद करने को मजबूर हैं। बाहर जाओं तो सारा ध्यान घर पर ही लगा रहता है कि कहीं कोई अप्रिय घटना न घट जाये।
वीरेंद्र कुमार, कटौली

कोहरे में खतरा और बढ़ गया है। ऐसे में गांव वालों को और सतर्कता बरतनी होगी। वे ग्रुप में लाठी-डंडों के साथ ही निकले। गांव वालों की सुरक्षा के लिए टीमें लगातार कार्य कर रही हैं।
सितांशु पाण्डेय, डीएफओ अवध

यह भी पढ़ेः पेपर अच्छा न होने पर छात्रा ने गोमती में लगाई छलांग, मिला सुसाइड नोट

संबंधित समाचार