B.A, B.SC से छात्रों का मोहभंग, Tech और AI कोर्सिस में फुल हुई सीट्स

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Published By Muskan Dixit
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रोजगार परक प्रोफेशनल कोर्स की बढ़ रही है मांग

लखनऊ, अमृत विचार: लखनऊ विश्वविद्यालय और संबद्ध महाविद्यालयों में परंपरागत पाठ्यक्रमों से छात्रों का मोहभंग होता जा रहा है। रोजगार परक पाठ्यक्रमों में बढ़ते रुझान के चलते परंपरागत पाठ्यक्रम जैसे बीए, एमए, बीएससी, एमएससी की सीटें महाविद्यालयों में खाली रह जा रही है। पहले इन्हीं पाठ्यक्रमों में प्रवेश वरियता सूची के आधार पर होती थी लेकिन अब परंपरागत पाठ्यक्रमों में रोजगार की संभावनाएं कम होने से इनमें प्रवेश लेने वालों की तादात लगातार घटती जा रही है।

छात्र-छात्राओं का रुझान तकनीकी और आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस जैसे प्रोफेशनल कोर्स में बढ़ने के कारण विद्यार्थी अब कप्यूटर आधारित कोर्स, तकनीकी पाठ्यक्रम को प्राथमिकता देने लगे हैं। पहले डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय ही इंजीनियरिंग जैसे कोर्स संचालित कर रहा था लेकिन विद्यार्थियों की मांग को देखते हुए प्रोफेशनल कोर्स लगभग सभी विश्वविद्यालयों ने आरंभ कर दिया है। ऐसे में महाविद्यालयों में परंपरागत पाठ्यक्रमों की सीटें खाली रह जा रही है। कॉलेजों में कई पाठ्यक्रम तो ऐसे हैं जहां 20 फीसदी सीटें भी नहीं भर रही हैं।

इन पाठ्यक्रमों में बढ़ा रुझान

बीटेक इन एआई, मशीन लर्निंग और डेटा साइंस से जुड़े पाठ्यक्रम, साइबर क्राइम, ज्योतिष पाठ्यक्रम, रिमोट सेंसिंग, जीएसटी, साइबर लॉ समेत कई ऐसे पाठ्यक्रम विश्वविद्यालयों में चल रहे हैं जिनमें छात्र बड़ी संख्या में प्रवेश ले रहे हैं।

महाविद्यालय नहीं कर सकते पाठ्यक्रमों में बदलाव

विश्वविद्यालयों के अधीन चलने वाले महाविद्यालय अपने पाठ्यक्रम और नियम विश्वविद्यालय के दिशानिर्देश में चलाते हैं। ऐसे में वह अपने स्तर से पाठ्यक्रमों में संशोधन या बदलाव नहीं कर सकते। यदि आज रोजगार परक मांग के हिसाब से परंपरागत पाठ्यक्रमों में बदलाव किया जाए तो एक बार फिर छात्रों का रुझान बढ़ेगा।

लविवि से संबद्ध कॉलेज

लखनऊ विश्वविद्यालय से कुल 543 महाविद्यालय जुडे हुए हैं। इसमें लखनऊ में 177, हरदोई में 140, लखीमपुर खीरी 65, रायबरेली 72 और सीतापुर में 97 कॉलेज लखनऊ विश्वविद्यालय से संबद्ध संचालित हो रहे हैं। पहले लखनऊ में डेढ़ सौ महाविद्यालय थे और अब छात्रों को अपने जिले में ही विश्वविद्यालय की डिग्री मिल रही है इसलिए वे कॉलेजों में परंपरागत पाठ्यक्रमों में दाखिला नहीं ले रहे हैं।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से हर चीज तेजी से बदल रही है। काम से लेकर मनोरंजन तक में एआई का प्रयोग शुरू हो गया है। विश्वविद्यालयों ने भी पढ़ाई से लेकर पढ़ाई कराने के तरीके तक में एआई का उपयोग शुरू कर दिया है।
प्रो. जेपी पांडेय, कुलपति, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम तकनीक विश्वविद्यालय

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