मुरादाबाद : डोनाल्ड ट्रंप के आने से निर्यातकों में जगी मंदी छटने की उम्मीद

मुरादाबाद, अमृत विचार। कोरोना काल के बाद लगातार मंदी की चपेट में आए धातु हस्तशिल्प निर्यात के बीच अमेरिका में सत्ता परिवर्तन से छोटी सी उम्मीद जागी है। स्थानीय निर्यातक मान रहे हैं कि डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद कारोबार में सुधार की थोड़ी संभावनाएं दिखाई देती है। हालांकि, सुधार की कवायद में इस वर्ष के भी मंदी में गुजर जाने की आशंका भी निर्यातकों में दिखाई दे रही है। बहरहाल, अमेरिका में बीते माह रोजगार के आंकड़े और फेडरल बैंक पालिसी की घोषणा के बाद कारोबार में सुधार के संकेत दिखाई दिए हैं।
दरअसल, पीतल नगरी से होने वाले धातु हस्तशिल्प निर्यात में लगातार गिरावट से निर्यातक के साथ दस्तकार और कारखानेदार परेशान हैं। कारोबारी मंदी का असर शहर के बाजारों पर भी है। बाजार की हालत यह है कि वह विवाह और त्योहार के भरोसे चल रहा है। धातु हस्तशिल्प निर्यात के आंकड़ों की बात करें तो बीते वर्ष अप्रैल से नवंबर तक 3009.69 करोड़ के उत्पाद विदेशों को भेजे गए थे। चालू वित्तीय वर्ष में 2934 करोड़ रुपये के उत्पादों का निर्यात किया जा सका है। केंद्र सरकार और ईपीसीएच की तमाम कोशिशों के बाद भी निर्यात में गिरावट का दौर जारी है। वैश्विक मंदी के लिए के कभी यूरोप की जंग और कभी इजरायल के युद्ध को जिम्मेदार माना जाता रहा है। इस दौरान अमेरिका की आर्थिक स्थिति डांवाडोल रही थी।
वरिष्ठ निर्यातक सतपाल का कहना है कि अमेरिका में कारोबार थोड़ा खुलने लगा है। अमेरिका के ग्राहक भी इंडिया में आने लगे हैं और अच्छी कारोबारी गुफ्तगू हो रही है। वह कहते हैं कि सत्ता परिर्वतन से इंडिया के हस्तशिल्प निर्यात पर असर देखने के लिए अभी मार्च तक इंतजार करना होगा। फरवरी में फैंकफुर्त में होने वाले उपहार मेले के नतीजे भविष्य का संकेत देने में मददगार बनेंगे। इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति की नीतियां भी सामने आ जाएंगी।
अच्छी प्लानिंग के साथ उपहार मेलों का आयोजन जरूरी
लघु उद्योग भारती के प्रदेश उपाध्यक्ष अजय कुमार जिम्मी भी मानते हैं कि अमेरिका में कारोबार बेहतर होना चाहिए, लेकिन साथ ही कहते हैं कि अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। अमेरिकी राष्ट्रपति अगर सुधार के ठोस उपाय करते हैं तब भी छह महीने से अधिक समय परिणाम आने में लगेगा जिससे यह वर्ष तो मंदी में निकल जाएगा। श्री जिम्मी बताते हैं कि निर्यात बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार को प्रयास करने होंगे और अच्छी प्लानिंग के साथ उपहार मेलों का आयोजन जरूरी है। नियार्तक कमल सोनी भी निर्यात से मंदी छटने को लेकर आशावान है और कहते हैं कि इस वर्ष कारोबार में सुधार की उम्मीद है, लेकिन मंदी से उबरने में एक वर्ष लगेगा।
हानिकारक भी हो सकती हैं नीतियां
नियार्तक अनूप शंखधार का मानना है कि ट्रंप की नीतियां देश के नियार्तकों के लिए हानिकारक भी हो सकती हैं। जिस तरह से ट्रंप ने भारतीय उत्पादों पर टैक्स लगाने की चेतावनी दी थी, वह अच्छा संकेत नहीं है। ऐसा होता है तो उत्पाद बहुत महंगा हो जाएगा जिससे बिक्री में कमी आना स्वभाविक है। उन्होंने कहा है कि उम्मीद बेहतर की है। ट्रंप व्यापार बढ़ाने वाले फैसले लेंगे, इसकी अधिक संभावनाएं हैं। वह कहते हैं कि इजरायल युद्ध विराम से अर्थव्यवस्था में सुधार होना लाजिमी है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार की तरफ से फरवरी में भारत टैक्स-2025 का आयोजन किया जा रहा है। हस्तशिल्प निर्यात संवर्द्धन परिषद द्वारा अप्रैल में भारतीय हस्तशिल्प उपहार मेला दिल्ली फेयर का आयोजन किया जा रहा है। जानकार मानते हैं कि उपहार मेलों में व्यापारिक संवाद से साल भर होने वाले निर्यात की स्थिति साफ हो जाएगी।
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