Mahakumbh 2025 :  मौनी अमावस्या के अमृत स्नान पर नहीं रुक रहे कदम, श्रद्धालुओं ने नाप ली सैकड़ों किमी की दूरी

Amrit Vichar Network
Published By Vinay Shukla
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अमृत विचार, प्रयागराज : महाकुंभ का 16वां दिन मौनी अमावस्या के ठीक एक दिन पहले सिर पर गठरी, नंगे पांव आंखो में संगम का दृश्य और जुबान पर गंगा मईया की जय का उद्घोष करते श्रृद्धालु का कारवां बढ़ रहा था।  संगम पहुंचने की लालसा और मन में बसी आस्था ने सैकड़ों किलोमीटर की दूरी में भी हौसले को डिगने नहीं दिया।

विश्व के सबसे बड़े समागम महाकुंभ में मौनी अमावस्या स्नान करने के लिए संगम तट पर पहुंचने वाली श्रृद्धालुओं की भीड़ इस बात का गवाह है कि 144 वर्षों के बाद इस पल का  साक्षी बनने के लिए हर कोई आतुर है। इस पल के लिए श्रृद्धालुओं ने कई वर्षों तक इंतजार किया है। बीती रात से ही श्रृद्धालुओं का बड़ा कारवां संगम में पुण्य की डुबकी लगा रहा है। स्नान के बाद भी उनके पैरों में थकान महसूस नहीं हुई और वह अपने गंतव्य की ओर बढ़ते रहे।

कर्नाटक से संगम में मौनी अमावस्या पर आस्था की डुबकी लगाने के लिए महेंद्र कुमार अपने परिवार के साथ इस पावन धरा पर सोमवार की रात पहुंचे। देर रात होने की वजह से वह सड़को पर ही रुक गये। वह अपने कैप तक नहीं पहुंच सके। उन्हें अरैल जाना था। वह इस दिव्य, भव्य और सुरक्षित महाकुंभ की यादों को संजोने के लिए अपने परिवार के साथ पहुंचे है। महेंद्र के साथ उनकी पत्नी रमनई, बेटा रामेश्वर, बेटी नंदिता

 प्रयागराज के दर्शनीय स्थलों को देखना चाहते है। उनके मन में सनातनी भाव और आस्था चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी। इसी तरह से राजस्थान के अलवर से आये नागार्जुन भी अपने परिवार के साथ संगम में डुबकी लगाने की इच्छा लेकर पहुंचे। उनके साथ उनकी बूढ़ी मां अंगारा भी साथ में आई हुई है। उनके मन में भी यह लालसा है कि इस महाकुंभ में स्नान कर पुण्य कमा लें। मौनी अमावस्या के एक दिन पहले बढ़ी भीड़ में भी इनके हौसलों ने बढ़ते कदम को नहीं डिगा सकी।

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