पीलीभीत: प्रतिबंध बेअसर...धड़ल्ले से हो रही चाइनीज मांझा की बिक्री
पीलीभीत, अमृत विचार। प्रतिबंध के बावजूद चाइनीज मांझा की बिक्री पर जिम्मेदार रोक नहीं लगा सके हैं। बसंत पंचमी नजदीक आने के बाद इसकी बिक्री में और तेजी आ चुकी है। पुलिस प्रशासन की ओर से शिकंजा कसने के नाम पर एक दिन निभाई गई औपचारिकता का कोई असर धरातल पर नहीं है। सख्ती का असर सिर्फ इतना है कि दुकानों से चाइनीज मांझा का स्टॉक हटाया जा चुका है। आसपास ही घर व गोदाम से इसकी बिक्री छिपकर की जा रही है। मगर, उसके भी मनमाने दाम वसूले जा रहे हैं। नतीजतन इस मौत की डोर (चाइनीज मांझा) के धंधेबाज पर्यावरण और लोगों की जान से खिलवाड़ कर मुनाफा कमाने में जुटे हुए हैं।
वैसे तो चाइनीज मांझा पहले से ही प्रतिबंधित है। हर साल इसकी बिक्री शहर से लेकर ग्रामीण अंचलों तक होती रही है। कार्रवाई के नाम पर छिटपुट धरपकड़ की जाती है और जिम्मेदार आंकड़ेबाजी तक सीमित रहते हैं। पीलीभीत में बसंत पंचमी के मौके पर पतंगबाजी होती है। इस दिन को पतंग उड़ाने के शौकीन पतंगबाजी के लिए ही खास मानते हैं। इस बार भी चाइनीज मांझा ही पतंगबाजी के शौकीनों की पसंद बना हुआ है। बीते माह पड़ोसी जनपद शाहजहांपुर में एक सिपाही की जान चाइनीज मांझा की चपेट में आकर चली गई। जनपद में भी कई लोग इस मौत की डोर की चपेट में आकर घायल हो चुके हैं। इसके अलावा अखिल भारत हिंदू महासभा के कार्यकर्ताओं ने भी प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा था। जिसके बाद सिटी मजिस्ट्रेट ने शहर की कई पतंग की दुकानों पर पहुंचकर जांच पड़ताल के नाम पर औपचारिकता निभाई लेकिन मांझा बरामद नहीं किया जा सका है। इस पर अधिकारियों ने चेतावनी देकर ही कर्तव्यों से इतिश्री कर ली। इधर, सुनगढ़ी पुलिस ने एक युवक को चाइनीज मांझे की बरामदगी कर गिरफ्तार किया था। इसके बाद दाम तो बढ़ गए लेकिन बिक्री पर कोई असर नहीं पड़ सका है। शहर में बीस से अधिक पतंग की दुकानें है। बताते हैं कि बसंत पंचमी को चार दिन का समय बाकी है। ऐसे में डिमांड को देखते हुए कई बड़े धंधेबाजों ने इसका स्टॉक भी मंगा लिया है। मगर, इसकी बिक्री घर और गोदाम से छिपकर कराई जा रही है। मगर, इसकी धरपकड़ के लिए कोई प्रयास भी अब नहीं किए जा रहे हैं। चाइनीज मांझा की बिक्री हो रही है। इसका आकलन इसी से किया जा सकता है कि आसमान में उड़ती हर पतंग चाइनीज मांझे से बंधी हुई है। अब अगर इसकी बिक्री ही नहीं हो रही है और दुकानों पर चाइनीज मांझा नहीं है तो पतंग के शौकीन कहां से ला रहे हैं।
बेबसी या फिर कुछ और...नुकसान न पहुंचा दे मौत की डोर
चाइनीज मांझा की बिक्री की जा रही है। यह बात तो जिम्मेदार भी स्वीकार रहे हैं। मगर, इस पर शिकंजा कस पाने में असफल है। इसे लेकर उनका भी अपना तर्क है। घर, गोदाम या फिर अन्य किसी स्थान से छिपकर बिक्री की जा रही है। दुकानों पर मांझा न मिलने की बात कहकर जिम्मेदार कार्रवाई करने से पल्ला झाड़ गए हैं। अब ये बेबसी है या फिर कुछ और..। आखिर बसंत पंचमी के नजदीक आने के बाद भी पुलिस प्रशासनिक स्तर से चाइनीज मांझे के धंधेबाजों पर सख्ती करने को कदम क्यों नहीं उठाए जा रहे हैं। अधिकारी एक बार पतंग की दुकानों पर गए और चेतावनी देकर लौट आए। इसके बाद दोबारा झांकने के लिए भी नहीं पहुंचे। न ही किसी तरह की कोई निगरानी कराई जा रही है। एक तरह से चाइनीज मांझे के रुप में पतंगों में बंधी मौत की इस डोर की बिक्री पर कैसे शिकंजा कसा जाएगा।
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