बरेली: कौशल विकास मिशन...बेरोजगारी की समस्या से लड़ने में असफल, केवल एक तिहाई युवाओं को मिली नौकरी

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Published By Vikas Babu
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अनुपम सिंह, बरेली। युवाओं के माथे से बेरोजगारी का दाग धोने में कौशल विकास मिशन भी ज्यादा काम नहीं आया। युवाओं के लिए रोजगार के अवसर खोलने के दावों के साथ उन्हें हुनरमंद बनाने के लिए इस योजना के तहत साल दर साल प्रशिक्षण तो दिया गया मगर लक्ष्य के मुताबिक उन्हें नौकरी नहीं दी जा सकी। पिछले तीन साल में प्रशिक्षित युवाओं में से एक तिहाई को ही नौकरी मिली। बाकी लोगों की यह आस भी धुल गई। इस साल अब तक मिशन ही शुरू नहीं हुआ है।

बेरोजगार युवाओं को नौकरी के काबिल बनाने के लिए कौशल विकास मिशन की शुरुआत 21 सितंबर 2013 काे की गई थी है, लेकिन पिछले तीन साल के आंकड़े बता रहे हैं कि यह योजना भी अपने उद्देश्य में पूरी तरह कामयाब नहीं हो पाई। इन तीन साल में 24,618 युवाओं को प्रशिक्षण दिया गया लेकिन नौकरी सिर्फ 8,319 को ही मिल पाई। आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2021-22 में शासन ने 7,969 युवाओं को प्रशिक्षण देकर रोजगार देने का लक्ष्य निर्धारित किया था। कौशल विकास योजना के केंद्रों पर युवाओं को ट्रेनिंग देने का लक्ष्य तो पूरा कर दिया गया लेकिन नाैकरी सिर्फ 1264 को मिल पाई।

वित्तीय वर्ष 2022-23 में 8396 युवाओं को प्रशिक्षण और नाैकरी देने का लक्ष्य था, इस बार भी प्रशिक्षण लेने वाले शत-प्रतिशत युवाओं को नाैकरी दिलाने की कोशिश कामयाब नहीं हुई। सिर्फ 1604 लोगों ही नौकरी मिल सकी। वित्तीय वर्ष 2023-24 में 8253 युवाओं के सापेक्ष 5451 को नौकरी मिली।

बता दें कि कौशल विकास मिशन के तहत 18 से 35 साल के युवाओं का प्रशिक्षण के लिए चयन किया जाता है।इन्हें न्यूनतम तीन सौ और अधिकतम नौ सौ घंटे के बैच में प्रशिक्षण दिया जाता है। योजना के तहत 37 सेक्टरों में करीब आठ सौ कोर्स का प्रशिक्षण दिया जाता है। इनमें युवाओं का सबसे ज्यादा रुझान हेल्थ केयर, कंप्यूटर, ब्यूटी केयर सेंटर और जरी जरदोजी के प्रशिक्षण लेने पर रहता है।

इस बार लक्ष्य नहीं दिया... योजना ठप
कौशल विकास मिशन के तहत वर्ष 2024-25 के लिए शासन ने कोई लक्ष्य ही नहीं जारी किया। इस वजह से जिले में यह योजना ठप हो गई है। हर साल कौशल विकास के प्रशिक्षण के लिए केंद्र तय किए जाते थे जो इस बार लक्ष्य जारी न होने की वजह से तय नहीं हो पाए। प्रशिक्षण लेने के इच्छुक युवाओं को पता नहीं लग पा रहा है कि इस बार कक्षाएं चलेंगी या नहीं। अगर चलेंगी तो कब से। योजना के क्रियान्वयन के लिए जिले के जिम्मेदार अफसर भी इस बारे में कुछ नहीं बता पा रहे हैं।

कोरोना काल में 17 प्रतिशत को ही मिली नौकरी
कौशल विकास मिशन के पोर्टल प्रदर्शित आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2021-22 और 2022-23 में भी 2870 को ही नौकरी मिली, जबकि इन दोनों सालों में 16,365 युवाओं ने प्रशिक्षण लिया था। ये कोरोना का दौर था जब लोगों को नौकरी की काफी जरूरत थी। वर्ष 2023-24 में 5451 को नौकरी दी गई को कोरोना से ग्रसित दो सालों की तुलना में दुगनी संख्या थी। इसके पीछे तर्क है कि कोरोनाकाल में सरकार का जोर जरूर ज्यादा नौकरियां दिलाने पर था लेकिन कोरोना के डर से लोग नौकरी के लिए बाहर जाने को तैयार नहीं थे।

पास करनी पड़ती है परीक्षा
पंजीकरण कराने वाले युवाओं को चार सौ, छह सौ, साढ़े सात सौ और नौ सौ घंटे के बैच में प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण के बाद सेक्टर स्किल काउंसिल की ओर से परीक्षा कराई जाती है। परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद ही युवाओं को प्रमाण पत्र दिया जाता है। प्रमाणपत्र धारक युवाओं को नौकरी दिलाने के लिए कंपनियों से संपर्क किया जाता है।

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