Ayodhya News : भारी अनियमितता में रद्द हो ग्रेटर नोएडा और आगरा का करार: रघुवंश मणि 

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Published By Vinay Shukla
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Ayodhya, Amrit Vichar :  विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के आह्वान पर सोमवार को लगातार 82 वें दिन भी मुख्यालयों पर बिजलीकर्मियों ने निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन जारी रखा। संघर्ष समिति ने मांग की है कि निजीकरण करने के पहले ग्रेटर नोएडा और आगरा में किए गए निजीकरण के करार भारी अनियमितता के चलते रद्द किए जाएं।

संघर्ष समिति के संयोजक रघुवंश मणि ने कहा कि 01 अप्रैल 2010 को आगरा शहर की विद्युत व्यवस्था टोरेंट पावर कंपनी को सौंपी गई थी। उस समय उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन का आगरा शहर का 2200 करोड़ रुपए का राजस्व का बकाया था। निजीकरण की शर्त यह थी की यह धनराशि टोरेंट पावर कंपनी वसूल कर पावर कारपोरेशन को देगी।  पावर कॉरपोरेशन इसके ऐवज में टोरेंट पावर कंपनी को 10 प्रतिशत प्रोत्साहन धनराशि देगा। 15 वर्ष होने जा रहे हैं और टोरेंट पावर कंपनी ने यह धनराशि, जो उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन का राजस्व बकाया था, आज तक पावर कारपोरेशन को वापस नहीं किया है। उन्होंने कहा कि नियम यह है कि अगर कोई उपभोक्ता बकाए की धनराशि नहीं देता है तो उसका कनेक्शन काट दिया जाता है। मजेदार बात है कि टोरेंट पावर कंपनी में इन बकायेदारों का कनेक्शन भी नहीं काटा।

आरोप लगाया कि मतलब यह हुआ कि यह 2200 करोड़ रुपए की धनराशि उपभोक्ताओं से लेकर टोरेंट पावर कंपनी ने अपने खाते में डाल ली। आगरा में निजीकरण की शुरुआत ही पावर कारपोरेशन को 2200 करोड़ रुपए की चोट से हुई है।कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में लगभग 41 हजार करोड़ रुपए का राजस्व बकाया है और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में लगभग 25 हजार करोड़ रुपए राजस्व का बकाया है। निजीकरण की आगरा वाली ही कहानी दोहराई जाती है तो पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में आने वाली निजी कंपनी के खाते में क्रमशः 41 हजार करोड़ रुपए और 25 हजार करोड़ रुपए की धनराशि चली जाएगी और पावर कॉरपोरेशन को एक झटके में लगभग 66 हजार करोड़ रुपए की चोट लगेगी। प्रदर्शन में बड़ी संख्या में कर्मचारी शामिल रहे।

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