UP Budget 2025: 808736 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश, युवा, गरीब, किसान और महिला पर फोकस, जानें मुख्य बातें

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Published By Deepak Mishra
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा में गुरुवार को वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिये आठ लाख आठ हजार 736.60 करोड़ रुपये का बजट पेश किया गया। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बजट प्रस्तावों को सदन के पटल पर रखते हुये कहा कि प्रस्तुत बजट का आकार 8 लाख 8 हजार 736 करोड़ 6 लाख रुपये है जो वर्ष 2024-2025 के बजट से 9.8 प्रतिशत अधिक है। बजट में पूँजीगत परिव्यय कुल बजट का लगभग 20.5 प्रतिशत है।

पूँजीगत परिव्यय के अन्तर्गत अवसंरचना निर्माण, विस्तार और निवेश संबंधी व्यय आते हैं। उद्योग, आवागमन, उत्पादों की बाजार तक पहुंच तथा प्रदेश में पूँजी निवेश को आकर्षित करने जैसे महत्वपूर्ण गतिविधियों में पूँजीगत व्यय की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण होती है। बजट में अवस्थापना विकास के लिये 22 प्रतिशत, शिक्षा के लिये 13 प्रतिशत, कृषि और सम्बद्ध सेवाओं के लिये 11 प्रतिशत, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में छह प्रतिशत, सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों के लिये चार प्रतिशत एवं संसाधन आवंटित किये गये हैं। 

अर्थव्यवस्था को वन ट्रिलियन डॉलर बनाए जाने का लक्ष्य

बजट भाषण में वित्त मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था को वन ट्रिलियन डॉलर बनाए जाने का लक्ष्य रखा है। इसको ध्यान में रखते हुये सरकार ने कृषि एवं संवर्गीय सेवाएँ, अवस्थापना, उद्योग, आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, शिक्षा, पर्यटन, नगर विकास, वित्तीय सेवायें, ऊर्जा, पूँजी निवेश आदि चिन्हित करते हुये सेक्टरवार कार्ययोजना तैयार की है। सम्बन्धित विभागों द्वारा सेक्टरवार कार्य योजना पर कार्य चल रहा है जिसकी समीक्षा नियमित रूप से की जा रही है।

उन्होने कहा कि सुचारू नीति कार्यान्वयन, व्यापार को आसान बनाने, ईज ऑफ यूइंग बिजनेस तथा निवेश आकर्षित करने के लिये सत्त विकास के कार्य के प्रति समर्पण भाव से प्रदेश के समस्त अंचलों में संतुलित निवेश का समग्र प्रवाह एवं नागरिकों के जीवन उन्नयन के लिये दीर्घकालिक मूल्यों एवं व्यवस्थाओं को सुनिश्चित किया गया है।

2017-2018 में प्रदेश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह बदहाल थी- खन्ना

खन्ना ने कहा कि सरकार राज्य को एक मुख्य निवेश केन्द्र तथा देश के ग्रोथ इंजन के रूप में स्थापित करने के अपने मिशन को कार्यान्वित करने के लिये प्रतिबद्ध है। उन्होने कहा कि वर्ष 2017-2018 में प्रदेश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह बदहाल थी तथा जीएसडीपी मात्र 12.89 लाख करोड रुपये के स्तर पर था। उनकी सरकार के कार्यकाल में प्रदेश की अर्थव्यवस्था को दो गुना कर दिया है। वर्ष 2024-2025 में प्रदेश की जी.एस.डी.पी. 27.51 लाख करोड़ रहने का अनुमान है। हम देश में विकास दर में वृद्धि करने वाले राज्यों में अब अग्रणी स्थान पर खड़े हैं।

वित्त मंत्री ने कहा कि वर्ष 2023-2024 में भारत देश की जी.डी.पी. की वृद्धि दर 9.6 प्रतिशत थी जबकि हमारे प्रदेश की वृद्धि दर 11.6 प्रतिशत रही है। वित्तीय वर्ष 2016-2017 में प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय मात्र 52,671 रुपये थी। मात्र तीन वर्ष की अवधि में प्रति व्यक्ति आय 2019-2020 में बढ़कर 65,660 रुपये के स्तर पर पहुँच गयी।

कोविड महामारी के कारण अर्थव्यवस्था को लगा झटका

इसके उपरान्त कोविड महामारी की विभीषिका के कारण पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था को झटका लगा। इसके बाद मात्र तीन वर्ष में 14.9 प्रतिशत अप्रत्याशित वार्षिक वृद्धि दर प्राप्त करते हुये हम प्रति व्यक्ति आय को वर्ष 2023-2024 में 93,514 रुपये के स्तर पर ले आये हैं। इस अवधि में सकल राज्य घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में सभी राज्यों का विकास व्यय क्रमशः 10.9, 11.9 एवं 12 प्रतिशत रहा, जबकि उत्तर प्रदेश में यह औसत क्रमशः 13.8, 16 एवं 16.7 प्रतिशत रहा।

उन्होंने कहा कि समस्त राज्यों द्वारा कुल व्यय के प्रतिशत के रूप में चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पर किये गये व्यय के औसत की तुलना में, वित्तीय वर्ष 2018-2019 तथा 2021-2022 के अलावा वर्ष 2017-2018 से 2024-2025 तक उत्तर प्रदेश द्वारा किया गया व्यय लगातार अधिक रहा। वर्ष 2017-2018 में सभी राज्यों के औसत अनुपात 5.0 प्रतिशत के सापेक्ष उत्तर प्रदेश का अनुपात 5.3 तथा 2024-2025 में 5.6 प्रतिशत के सापेक्ष 5.9 प्रतिशत रहा है।

खन्ना ने कहा कि प्रदेश की ऋणग्रस्तता जो वर्ष 2016-2017 की समाप्ति पर जीएसडीपी का 36.7 प्रतिशत थी घट कर वर्ष 2022-2023 के वास्तविक आँकड़ों में 30.4 प्रतिशत हो गयी है। प्रदेश सरकार द्वारा न केवल अपने आंतरिक संसाधनों की अभिवृद्धि पर जोर दिया गया है, अपितु विकास व्यय एवं स्वास्थ्य सेवाओं पर व्यय बढ़ाया गया है और ऋणग्रस्तता में कमी लायी गई है। यह सरकार के कुशल वित्तीय प्रबन्धन का परिचायक है।

खन्ना ने कहा कि नीति आयोग ने वित्तीय वर्ष 2014-2015 से 2022-2023 तक की अवधि के लिये राज्यों की राजकोषीय स्थिति के संबंध में रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें उत्तर प्रदेश को अग्रणी (फंट रनर) राज्य की श्रेणी में रखा गया है। समेकित ‘फिस्कल हेल्थ इन्डेक्स’ जो वर्ष 2014 से 2019 की अवधि में 37.0 था, 2022-2023 में बढ़कर 45.9 हो गया है।

रिपोर्ट के अनुसार व्यय की गुणवत्ता में व्यापक सुधार हुआ है। वर्ष 2018 से 2023 की अवधि में पूँजीगत व्यय, कुल व्यय के 14.8 प्रतिशत से 19.3 प्रतिशत के मध्य रहा। इस अवधि में यह अनुपात देश के प्रमुख राज्यों के औसत अनुपात से अधिक रहा। सामाजिक क्षेत्र में पूँजीगत व्यय में 27 प्रतिशत तथा राजस्व व्यय में 9 प्रतिशत वार्षिक दर से वृद्धि हुई। इसी प्रकार, आर्थिक सेवाओं के अन्तर्गत भी पूँजीगत व्यय में पर्याप्त वृद्धि परिलक्षित हुई। वित्तीय वर्ष 2018-2019 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पर व्यथ कुल व्यय का 4.9 प्रतिशत था जो वर्ष 2022-2023 में बढ़कर 6.5 प्रतिशत हो गया, जो देश के प्रमुख राज्यों में सर्वाधिक था।

उन्होने कहा कि प्रदेश का राजकोषीय घाटा निर्धारित सीमा के अधीन रहा है। राजस्व बचत तथा प्राथमिक बचत के कारण सकल राज्य घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में ऋणग्रस्तता में कमी दर्ज की गयी। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा राज्यों के बजट के संबंध में वित्तीय वर्ष 2024-2025 में प्रकाशित अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार देश के सभी राज्यों की स्वयं के कर की प्राप्तियों में उत्तर प्रदेश का अंश वर्ष 2022-2023, 2023-2024 एवं 2024-2025 में क्रमशः 9.9 प्रतिशत, 10.5 प्रतिशत एवं 11.6 प्रतिशत रहा जो महाराष्ट्र के उपरान्त देश में सर्वाधिक है।

इस दौरान सभी राज्यों में राजस्व प्राप्तियों के सापेक्ष ब्याज पर व्यय क्रमशः 12.6, 12.3 एवं 12.1 प्रतिशत रहा जबकि उत्तर प्रदेश में यह प्रतिशत 10.3, 9.4 एवं 8.9 रहा। सकल राज्य घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में सभी राज्यों की स्वयं के कर से प्राप्ति का औसत उक्त वर्षों में क्रमशः 6.5, 7.0 तथा 7.2 प्रतिशत रहा, जब कि उत्तर प्रदेश में यह अनुपात क्रमशः 7.6, 9.8 तथा 10 प्रतिशत रहा।

वित्त मंत्री ने कहा कि हाल के वर्षों में उत्तर प्रदेश में निवेश आकर्षण, औद्योगिक एवं अवस्थापना विकास में उल्लेखनीय प्रगति हुई है तथा प्रदेश भारत में सबसे पसंदीदा निवेश गंतव्य के रूप में उभरा है। अवस्थापना सुविधाओं का त्वरित विकास किया गया है। कई निवेशोन्मुख नीतियां घोषित की गई है तथा कारोबारी माहौल में अभूतपूर्व सुधार किया गया है, जिससे प्रदेश की छवि आर्थिक रूप से पिछड़े राज्य से परिवर्तित होकर एक प्रगतिशील राज्य के रूप में स्थापित हुई है। विश्व स्तरीय इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने में उत्तर प्रदेश ने उल्लेखनीय प्रगति की है।

उन्होने कहा कि राज्य में विकसित हो रही वायु, जल, सड़क एवं रेल नेटवर्क की कनेक्टिविटी से राज्य के उद्योगों एवं मैन्युफैक्चरिंग इकाईयों को अपना माल भारत एवं विदेशों के बाजारों में भेजने के लिये परिवहन के विभिन्न साधनों के बीच निर्बाध रूप से स्विच करने की सुविधा प्रदान करेगी। कानून व्यवस्था तथा विद्युत आपूर्ति में अभूतपूर्व सुधार, सक्रिय नीतिगत निरूपण एवं इन्वेस्ट यूपी में निवेश सारथी, निवेश मित्र तथा ऑनलाइन प्रोत्साहन लाभ प्रबंधन प्रणाली जैसी डिजिटल सुविधाओं से निवेश प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित हुई है, जिससे निवेशकों का विश्वास बढ़ा है तथा राज्य में व्यापार करने के लिये अनुकूल वातावरण सृजित हुआ है।

सूबे की राजकोषीय स्थिति में सुधार हुआ: खन्ना

वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि नीति आयोग, भारत सरकार की ओर से वित्तीय वर्ष 2014-2015 से 2022-2023 तक की अवधि के लिए राज्यों की राजकोषीय स्थिति के संबंध में रिपोर्ट प्रकाशित की गई है, इस रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश को अग्रणी राज्य की श्रेणी में रखा गया है। राजकोषीय स्थिति जो वर्ष 2014 से 2019 की अवधि में 37.0 थी, 2022-2023 में बढ़कर 45.9 हो गई है। रिपोर्ट के अनुसार, व्यय की गुणवत्ता में व्यापक सुधार हुआ है। वर्ष 2018 से 2023 की अवधि में पूंजीगत व्यय, कुल व्यय के 14.8 प्रतिशत से 19.3 प्रतिशत के बीच रहा।

सड़क एवं रेल नेटवर्क की कनेक्टिविटी बढ़िया हुई'

सुरेश खन्ना ने कहा कि विकसित विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा तैयार करने में उत्तर प्रदेश ने उल्लेखनीय प्रगति की है। राज्य में सड़क एवं रेल नेटवर्क की कनेक्टिविटी से उद्योगों एवं मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों को अपना माल भारत एवं विदेशों के बाजारों में भेजने के लिए परिवहन के विभिन्न साधनों की सुविधा मिल रही है। 

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