रामपुर : 135 वर्ष बाद ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने नवेद मियां

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Published By Pradeep Kumar
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राजघरानों के प्रतिनिधि, राजनीतिक हस्तियां और विशिष्ट अतिथि हुए शामिल

रामपुर, अमृत विचार। छत्तीसगढ़ के बस्तर राजघराने में 135 वर्ष बाद ऐतिहासिक क्षण आया जिसके साक्षी पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां भी बने हैं। बस्तर के महाराजा कमलचंद्र भंजदेव का विवाह मध्यप्रदेश के किला नागौद राजघराने की राजकुमारी भुवनेश्वरी कुमारी के साथ शुक्रवार को हुआ। इस मौके पर नवाब रामपुर के अलावा देशभर के 100 से अधिक राजघरानों के प्रतिनिधि, राजनीतिक हस्तियां और विशिष्ट अतिथि शामिल हुए।

पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खान उर्फ नवेद मियां के पीआरओ काशिफ खान ने बताया कि बस्तर के महाराजा कमलचंद्र भंजदेव का विवाह मध्यप्रदेश के किला नागौद राजघराने की राजकुमारी भुवनेश्वरी कुमारी के साथ हुआ है। बस्तर राजमहल में गद्दी पर आसीन किसी राजा की पांच पीढ़ियों के बाद ऐतिहासिक शादी राजमहल में हुई है। बस्तर राजघराने में आखिरी शादी वर्ष 1918 में महाराजा रुद्रप्रताप देव की हुई थी। 135 वर्ष बाद बरात निकली है जबकि, 107 साल बाद गद्दी पर आसीन किसी राजा का विवाह राजमहल में हुआ है। 20 फरवरी को महाराजा कमलचंद्र भंजदेव की बारात राजमहल से निकली, जो जगदलपुर से एयरपोर्ट से चार्टर्ड प्लेन से किला नागौद गई। बस्तर राजपरिवार की कुल देवी मां दंतेश्वरी का छत्र और छड़ी पहली बार किसी विवाह समारोह में शामिल हुईं।

छत्र और छड़ी जगदलपुर लाया गया
मां दंतेश्वरी का छत्र और छड़ी जगदलपुर लाया गया। राज परिवार के सदस्यों से पूरे रीति रिवाज से पूजन किया और मां दंतेश्वरी का छत्र और छड़ी को वापस दंतेवाड़ा रवाना कर दिया गया। दंतेवाड़ा मंदिर के मुख्य पुजारी परमेश्वर नाथ जीया के अनुसार मां दंतेश्वरी का छत्र और छड़ी विवाह के लिए पहली बार मंदिर से बाहर निकली। छत्र और छड़ी को जवानों के सुरक्षा घेरे में विशेष सलामी दी गई और वीआईपी प्रोटोकॉल के तहत पूरे सम्मान के साथ वापस दंतेवाड़ा भेजा गया। 

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