शत्रु संपत्ति: तीन विभाग, 10 कर्मचारी... फिर भी नतीजा सिफर, नहीं पूरा हो पाया चिह्नांकन और सर्वे का काम

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
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लखनऊ, अमृत विचार। शत्रु संपत्ति के चिह्नांकन और सर्वे का काम पूरा नहीं हो पा रहा है। सर्वे पर चिह्नांकन के लिए तीन विभाग के दस अधिकारी एवं कर्मी लगाए गए हैं मगर नतीजा सिफर है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से शत्रु संपत्ति का सर्वे और चिह्नांकन करने के निर्देश लगातार दिए जा रहे हैं। 

हजरतगंज की लारी बिल्डिंग और जमीन पर बने होटल सहित करीब डेढ़ दर्जन शत्रु संपत्तियों का सर्वे 10 अधिकारियों-कर्मियों की टीम मिलकर नहीं कर पा रही है। कोई नक्शा न मिलने की बात कह रहा है तो कोई सीमांकन और सर्वे के लिए मूल बिन्दु न होने की बात कहकर पल्ला झाड़ रहा है। जनपथ की दुकानों से लेकर हजरतगंज के शोरूम तक लगभग डेढ़ दर्जन संपत्तियां शत्रु संपत्ति के रूप में चिह्निनत की गई हैं। इनमें तमाम दुकानदार बहुत कम किराया दे रहे हैं।

केंद्र सरकार ने इन दुकानों का सर्वे कराने और इनका किराया आनलाइन जमा कराने को कहा था। इसके लिए इनका सर्वे और सीमांकन होना है। इसके लिए राजस्व के पांच कर्मचारियों की टीम गठित की गई थी। इसी तरह एलडीए के भी कई कर्मचारी अधिकारी लगाए गए थे। एलडीए के नायब तहसीलदार को एलडीए की तरफ से नोडल अधिकारी बनाया गया था। 

इन सभी को शत्रु सम्पत्ति अभिरक्षक कार्यालय के अफसरों के साथ मिलकर काकर वाली कोठी (हलवासिया कोर्ट) और हजरतगंज की लारी बिल्डिंग का सर्वे, पैमाइश और सीमांकन करना था। इसी टीम को स्ट्रक्चरल आडिट कराने में भी सहयोग करना था। केवल हलवासिया कोर्ट बिल्डिंग का ही सर्वे व सीमांकन किया गया है। सर्वे न होने की वजह से बिल्डिंग को बेचने वाले, किराए पर देने वालों की रिपोर्ट नहीं तैयार हो पा रही है।

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