दुष्कर्म ‘पीड़िता’ और उसके वकील ने मिलकर दर्ज कराए 30 केस, हैरत में हाईकोर्ट, CBI जांच के दिए आदेश, जानें पूरा मामला

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
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लखनऊ, विधि संवाददाता। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष एक ऐसा मामला आया जिसमें कथित पीड़िता ने अलग-अलग लोगों के खिलाफ 12 आपराधिक मुकदमे दर्ज कराए हैं तो उसके वकील ने भी 18 मुकदमे दर्ज कराते हुए, तमाम लोगों को अभियुक्त बना रखा है। 

मामले के तथ्यों को देखकर हाईकोर्ट भी हैरत में पड़ गई। न्यायालय ने कहा कि मामले के तथ्यों को देखते हुए, उचित होगा कि सीबीआई इन सभी मुकदमों की जांच करे व कोर्ट अपनी रिपोर्ट सौंपे। मामले की अगली सुनवायी 10 अप्रैल को होगी।

यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी व न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने अरविन्द यादव व एक अन्य की याचिका पर पारित किया। याचियों ने पीड़िता द्वारा उनके खिलाफ दुराचार, छेड़छाड़ व धमकी जैसे गंभीर अपराधों में थाना विभूति खंड में लिखाए गए एफआईआर को चुनौती दी है। 

याचियों की ओर से दलील दी गई कि पीड़िता का यही काम है कि वह लोगों के विरुद्ध आपराधिक मुकदमे लिखाकर धन वसूली करती है। कहा गया कि यही नहीं पीड़िता के अधिवक्ता परमानन्द गुप्ता ने भी 18 आपराधिक मुकदमे अलग-अलग लोगों के खिलाफ दर्ज करा रखे हैं। न्यायालय के समक्ष दोनों के द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमों की पूरी सूची भी पेश की गई। 

इस पर न्यायालय ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि पीड़िता व उसका वकील मिलकर लोगों के खिलाफ झूठे एफआईआर दर्ज कराते हैं ताकि पैसे की वसूली की जा सके, वर्तमान एफआईआर भी इसी प्रकार की प्रतीत हो रही है। न्यायालय ने कहा कि इस मामले में उचित होगा कि सीबीआई जांच कर 10 अप्रैल तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करे। इसके साथ ही न्यायालय ने याचियों को बिना ठोस साक्ष्य के गिरफ्तार करने पर रोक लगा दी है।

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