बदायूं में प्री मैच्योर प्रसव से शिशुओं की मौत, इलाज की कमी पर सवाल

Amrit Vichar Network
Published By Preeti Kohli
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बदायूं, अमृत विचार: जिला महिला अस्पताल में फरवरी में 24 महिलाओं का प्रसव कराया गया। इसमें से 11 महिलाओं का प्रसव प्री मैच्योर हुआ। उनके शिशुओं का वजन एक से डेढ़ किला मात्र था। इन शिशुओं में सात शिशुओं को बाहर को रेफर किया गया। इनमें से चार की मौत हो गई।

समय से पहले प्रसव होना महिला और शिशु दोनों को घातक साबित होता है। इसलिए गर्भवती महिला को हर तीन माह बाद चेक अप और चार माह बाद अल्ट्रासाउंड कराना चाहिए। इससे उसके गर्भस्थ शिशु की सेहत का जानकारी होती रहे। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. स्वर्णिम यादव ने बताया कि जागरुकता न होने के कारण कई प्रसव प्री मैच्योर होते हैं।

इसके चलते शिशुओं को बचाना मुश्किल हो जाता है। वेंटिलेटर न होने से हर माह कई शिशुओं की मौत हो जाती है। बताया कि गर्भवती को हर तीन माह बाद अपना चेकअप कराना चाहिए। स्त्री रोग विशेषज्ञ के अनुसार ही खाना दिया जाना चाहिए।

एसएनसीयू वार्ड में चल रहा शिशु का इलाज
उसहैत क्षेत्र के ग्राम नसीन नगर निवासी पूजा पत्नी अमीरपाल को शनिवार को प्रसव पीड़ा हुई। परिजनों ने उन्हें ककराला रोड स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराया। साढ़े सात माह के शिशु के जन्म लेने के बाद हालत बिगड़ गई। इसके बाद परिजनों ने बच्चे को जिला महिला अस्पताल में भर्ती कराया।

शिशु का वजन मात्र 900 ग्राम निकला। उसे एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कर लिया गया। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. स्वर्णिम यादव ने बताया कि गर्भवती की पानी की झिल्ली फट जाने से समय से पहले प्रसव हुआ है। इसलिए नवजात की हालत बिगड़ गई है।

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