म्यांमार से लौटे युवाओं ने सुनाई आपबीती, कहा- कई महीनों बाद बाहर की दुनिया देखी

चीनी अभिनेता की तलाश में बंधकों तक पहुंची सेना

म्यांमार से लौटे युवाओं ने सुनाई आपबीती, कहा- कई महीनों बाद बाहर की दुनिया देखी

लखनऊ, अमृत विचार। चीनी अभिनेता की तलाश में चलाए गए अभियान के दौरान सेना के जवान म्यांमार में उस बिल्डिंग तक पहुंच गए जहां भारत और अन्य देशों के युवक बंधक बनाकर रखे गए थे। सेना ने बिल्डिंग से हजारों बंधकों को बाहर निकाला, जिसमें 540 भारतीय थे। दो दिन म्यांमार में चीन-म्यांमार-थाईलैंड सेना ने शिविर में रखने के बाद बंधकों को भारतीय दूतावास भेजा। वहां से वे अपने देश लौट सके।

चाइना के अभिनेता वांग जिंग्यू म्यांमार में लापता हो गए। उनकी तलाश के लिए पिछले हफ्ते चीन-म्यांमार-थाईलैंड सेना ने ऑपरेशन शुरू किया। इसी ऑपरेशन के दौरान सेना म्यांमार के म्यावड्डी शहर में केके पार्क के पास एक बिल्डिंग में पहुंची थी। म्यांमार से बंधन मुक्त होकर लौटे राजाजीपुरम एफ-ब्लॉक निवासी सादिक मिर्जा ने बताया कि सेना के छापे के दौरान सभी डर गए थे। सेना ने ही पासपोर्ट और दस्तावेज दिलाए। सभी को दो दिन वहां की सेना के शिविर में रखा गया फिर भारतीय दूतावास भेज दिया गया।

आलमबाग के मो. तौसीफ ने बताया कि 11 महीने तक उसने बाहर की दुनिया नहीं देखी। उसी इमारत में एक से दूसरे कमरे तक जा सकते थे। पहले तल पर मेस थी। सशस्त्र बंदूकधारी पहरे पर थे और सीसी कैमरे से निगरानी की जाती थी। म्यांमार पहुंचने पर सबसे पहले शैक्षिक दस्तावेज और पासपोर्ट ले लिए गए थे। वापस लौटने के लिए दस्तावेज मांगने पर गिरोह के लोग 5000 यूएस डॉलर मांगते थे।

फेसबुक पर लिंक क्लिक करते ही अगले दिन आता था एजेंट का फोन

विदेशी कॉल सेंटर पर मोटी तनख्वाह पर नौकरी का एड जालसाज फेसबुक और इंस्टाग्राम पर देते थे। विज्ञापन पर क्लिक करते ही अगले दिन गिरोह से जुड़े एजेंट का फोन आता था। इसके बाद एजेंट लगातार बात करके विदेश में मोटे पैकेज पर नौकरी, खाना-पीना और रुकने का झांसा देता था। टारगेट को जाल में फंसाकर वीजा और एयर टिकट के नाम पर रुपये लेते थे। फिर 15-20 दिन के अंदर वीजा और एयर टिकट कोरियर से भेज देते थे। एजेंट के कहने पर दिल्ली से बैंकाक की फ्लाइट लेते थे। वहां से शिप से म्यांमार पहुंचते और फिर कार से म्यावड्डी शहर थाईलैंड बार्डर पहुंच जाते थे।

साइबर सेल और एलआईयू की पूछताछ में रेस्क्यू कर लाए गए हुसैनाबाद के दौलतगंज निवासी मोहम्मद अनस ने बताया कि एमबीए पास करने के बाद भी नौकरी नहीं मिली थी। मई 2024 में उसने फेसबुक पर पढ़े-लिखे युवाओं का सुनहरा भविष्य नाम से विज्ञापन देखा। उसे क्लिक किया तो कॉल सेंटर की नौकरी, वेतन 50 हजार-1 लाख रुपये देने की बात लिखी थी। सर्चिंग करने पर उससे एक ऑप्शन पर मोबाइल नंबर मांगा गया, जो उसने अपलोड कर दिया। अगले दिन एजेंट ने कॉल कर फंसाया और खाते में 50 हजार रुपये कई मदों में ऑनलाइन ट्रांसफर कराए। म्यांमार-थाईलैंड बार्डर पर म्यावड्डी शहर में एक बिल्डिंग में उसे रखा गया। वहीं, मदेयगंज खदरा के सुल्तान सलाउद्दीन रब्बानी ने बताया कि वह अपने एक दोस्त के जरिए एजेंट के संपर्क में आया था। वह भी जून 2024 को म्यांमार गया था। साइबर क्राइम सेल और पुलिस अब गिरोह के एजेंटों का ब्योरा जुटा रही है।

महिलाओं की फोटो लगाकर करते थे टारगेट

साइबर ठग लड़कियों के नाम से इंस्टाग्राम, फेसबुक, लिंकडिन पर आईडी बनवाते थे। उसके बाद लोगों को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजकर उन्हें फंसाया जाता था। व्हाट्सएप नंबर हासिल करने के बाद उन्हें फोन कर डिजिटल अरेस्ट, शेयर मार्केट में निवेश, पार्सल भेजने, केवाईसी अपडेट और मनचाही बात कराने के नाम पर ठगी करते थे।

7 दिन की होती थी ट्रेनिंग, नहीं दिखता था आका का चेहरा

बंधक बनाकर रखे गए भारतीय युवक और युवतियों को ठगी करने के लिए 7 दिन की ट्रेनिंग चाइना और पाकिस्तान में बैठे हैकर देते थे। 100-100 के बैच बनाकर प्रोजेक्टर पर प्रशिक्षण दिया जाता था। इसका खुलासा रेस्क्यू कर लाए गए लखनऊ के चार पीड़ितों ने साइबर क्राइम सेल और एलआईयू के सामने किया। बताया कि प्रशिक्षण के दौरान कम्बोडिया और चाइना में बैठे गिरोह के आका उनकी मानिटरिंग करते थे। कभी भी हैकर का चेहरा नहीं दिखता था। सिर्फ आवाज सुनाई देती थी।

चीन भेजा जाता था अमेरिकी और भारतीयों का डेटा

हैकर बोलते थे जिसका मन ट्रेनिंग में न लग रहा हो, उसके नाखून नोच डालो। ट्रेनिंग सेशन में झपकी आने पर नाखून नोच लिए जाते थे। ट्रेनिंग के बाद सभी को लैपटॉप, हेड फोन देकर डेटा कलेक्शन में लगाया जाता था। डेटा अमेरिकी और भारतीय नागरिकों का जुटाना होता था। सारा डेटा लेकर चाइना को भेजा जाता था। उसी डेटा के आधार पर भारतीय और अमेरिकी नागरिकों को फोन करके ठगी की जाती थी।

रात में पूछताछ, शाम को फिर किया तलब

म्यांमार से वापसी पर युवा परिवार से मिलकर एक तरफ जहां खुश हैं, वहीं पुलिस की पूछताछ से परेशान हो गए हैं। मंगलवार रात करीब 10 बजे रोडवेज बस से 21 लोग पहले लखनऊ पुलिस लाइन पहुंचे। करीब साढ़े चार घंटे पूछताछ की गई। देर रात पुलिस की सुरक्षा में रोडवेज बस से सभी को चारबाग बस अड्डे ले जाया गया। वहां उन्हें स्वतः घर जाने के लिए छोड़ दिया गया। बुधवार शाम 6 बजे सभी को फिर हजरतगंज स्थित साइबर क्राइम सेल में तलब कर लिया गया। इसके पहले दिल्ली में जांच एजेंसी एनआईए के अलावा सीबीआई और एसटीएफ भी उनसे पूछताछ कर सारी जानकारी ले चुकी थी। पीड़ितों का कहना है कि पुलिस को सारी जानकारी लिखित में और मौखिक रूप से मंगलवार रात ही दे दी गई थी। इसके बाद भी पुलिस उन्हें बार-बार पूछताछ के नाम पर बुला रही है।

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