संपादकीय: गुणवत्तापूर्ण रोजगार पर जोर

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Published By Deepak Mishra
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जिनेवा में चल रही अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की बैठक में भारत ने वैश्विक मंच पर श्रम कल्याण, गुणवत्तापूर्ण रोजगार और सामाजिक न्याय को आगे बढ़ाने में अग्रणी आवाज के रूप में कार्य करना जारी रखने की अपनी प्रतिबद्धता फिर से दोहराई है। वैश्विक गठबंधन के प्रमुख भागीदार के रूप में सामाजिक न्याय और विकास को बढ़ावा देने में भारत की प्रगति प्रेरक कही जा रही है। वास्तव में सामाजिक न्याय का मकसद एक न्यायपूर्ण और समतामूलक समाज बनाना है। इसके तहत सभी नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संसाधनों का न्यायसंगत वितरण जरूरी है।

सामाजिक न्याय के प्रति भारत के प्रयास संवैधानिक प्रावधानों एवं सामाजिक-आर्थिक विषमताओं को संबोधित करने वाली लक्षित योजनाओं में निहित हैं। समावेशी नीतियों, कौशल विकास और पुनर्वास कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के माध्यम से सरकार का लक्ष्य हाशिए पर स्थित समुदायों का उत्थान करना एवं सम्मान तथा समानता के साथ स्थायी आजीविका सुनिश्चित करना है। सामाजिक न्याय व्यक्तियों और समुदायों की सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की परिकल्पना देश की आबादी की विविध सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों को पहचानने के महत्व पर प्रकाश डालती हैं।

केंद्र सरकार ने वंचितों के उत्थान, आजीविका बढ़ाने और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए कई सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम जनसंख्या के विभिन्न वर्गों के सामने आने वाली चुनौतियों को पूरा करने, सामाजिक कल्याण और विकास के लिए समग्र दृष्टिकोण सुनिश्चित करने के लिए डिजाइन किए हैं। आईएलओ द्वारा परिभाषित सामाजिक सुरक्षा में समाज द्वारा व्यक्तियों और परिवारों को प्रदान की जाने वाली सुरक्षा की विस्तृत श्रृंखला शामिल है। सामाजिक सुरक्षा, अपनी व्यापक परिभाषा में, सामाजिक न्याय, आर्थिक स्थिरता और सतत विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

सार्थक राजनीतिक परिवर्तन और सामाजिक न्याय का विस्तार सामूहिक कार्रवाई पर निर्भर करता है। कुल मिलाकर सामाजिक न्याय का उद्देश्य एक ऐसे समाज को बढ़ावा देना है, जो न्यायपूर्ण और समतामूलक हो, जिसमें विविधता को महत्व दिया जाए। इसी के चलते भारत ने पहली बार आईएलओ को स्वैच्छिक वित्तीय सहायता दी है। महत्वपूर्ण है कि भारत ने अपने सामाजिक सुरक्षा कवरेज को दोगुना करके 48.8 प्रतिशत कर दिया है, जिससे औसत वैश्विक सामाजिक सुरक्षा कवरेज में 5 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। कहा जा सकता है यह पहल  कौशल एवं योग्यता की पारस्परिक मान्यता के माध्यम से देश के युवाओं के लिए वैश्विक रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने में मदद करेगी।