अयोध्या: किसान प्राकृतिक विधि से करें मसाले की खेती- कुलपति डॉ. बिजेन्द्र सिंह  

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Published By Vishal Singh
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कुमारगंज/अयोध्या, अमृत विचार: आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के पशुपालन महाविद्यालय के प्रेक्षागृह में दो दिवसीय जिला स्तरीय संगोष्ठी का समापन हुआ। आजीविका सुरक्षा एवं सतत विकास के लिए सुगंधित एवं बीजीय मसालों की खेती विषय पर संगोष्ठी आयोजित हुई।  

अयोध्या, सुल्तानपुर एवं बाराबंकी जिले से 157 किसानों ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया। कुलपति डॉ. बिजेंद्र सिंह ने कहा कि किसान 90 दिनों में तैयार होने वाले मेंथा की खेती कर कम समय में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। खेती करने के लिए किसानों में आत्मविश्वास बहुत जरूरी है। किसान मसाले एवं सगंध की खेती को प्राकृतिक तरीके से करें।

उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती करने से कई बीमारियों से बचा जा सकता है और उत्पन्न पैदावार उच्च गुणवत्ता की होती है। मसाले की खेती करने में भारत विश्वभर में पहले स्थान पर है। कुलपति ने कहा कि लेमनग्रास के पौधों को खेत की मेड़ के चारों तरफ लगाएं। इससे उनकी आय में भी वृद्धि होगी।

केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान लखनऊ की वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रियंका सूर्यवंशी ने कहा कि किसान सगंध एवं मसालों की जैविक विधि से खेती करें तो अधिक लाभ कमा सकते हैं। मेंथा की खेती हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके तेल का प्रयोग दवा तथा सुगंध बनाने में भी किया जाता है।

उन्होंने बताया कि इसकी बुआई के लिए उपयुक्त समय 15 जनवरी से 15 फरवरी तक होता है। नर्सरी से पौधों की रोपाई मार्च से अप्रैल के प्रथम सप्ताह तक अवश्य कर देनी चाहिए, नहीं तो किसानों को कम उपज प्राप्त होगी। अधिष्ठाता डॉ. संजय पाठक के संयोजन में कार्यक्रम आयोजित हुआ। संचालन डॉ. आशीष सिंह ने किया।

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