Unnao: सदियों से भक्तों के कष्ट हरती आ रही हैं शुक्लागंज की दुर्गा माता, मंदिर में लगा रहता है श्रद्धालुओं का तांता
अमन सक्सेना, शुक्लागंज (उन्नाव)। पतित पावनी मां गंगा के तट पर बसे शुक्लागंज कस्बे में स्थित प्राचीन दुर्गा मंदिर में भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए दूर-दराज से ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी आते हैं। यह मंदिर धार्मिक आस्था का एक महत्वपूर्ण केन्द्र बन चुका है, जहां प्रतिदिन हजारों भक्त अपने कष्टों के निवारण और सुख-समृद्धि की कामना लेकर माथा टेकते हैं। यहां स्थापित मां दुर्गा की प्रतिमा के साथ-साथ 30 अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं भी भक्तों की आस्था का प्रतीक बन चुकी हैं।
मंदिर अध्यक्ष आदित्य सिंह (साधू) ने बताया कि यह मंदिर एक विशेष धार्मिक महत्व रखता है। 1953 में पूज्यपाद मदन केशव राव अमडेकर जबलपुर से कानपुर आए थे। उनका अधिकांश समय जबलपुर के जंगल में नर्मदा नदी के तट पर तपस्या करने में बीता था। तपस्या के उद्देश्य से उन्होंने शुक्लागंज स्थित दुर्गा मंदिर के पास किराए के एक कमरे में निवास करना शुरू किया और वहां नियमित रूप से साधना करने लगे।
धीरे-धीरे मंदिर में भक्तों की संख्या बढ़ने लगी और 1953 में, भक्तों के अनुरोध पर, मठिया में एक छोटी मूर्ति की स्थापना की गई। समय के साथ भक्तों की इच्छाओं के अनुरूप 1966 में मां दुर्गा की बड़ी मूर्ति की स्थापना शास्त्रोक्त विधि-विधान से की गई, जिसे आज भी पूजा जाता है। यह मूर्ति मंदिर में स्थापित प्रमुख प्रतिमा है। मंदिर की ऐतिहासिकता को समझते हुए, आदित्य सिंह ने बताया कि करीब 400 साल पहले इस स्थान पर महामाया की स्वर्ण प्रतिमा स्थापित थी। समय के साथ मंदिर में कई देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित की गईं, और अब यहां कुल 30 प्रतिमाएं विराजमान हैं।
मंदिर में स्थापित प्रमुख प्रतिमाएं
मंदिर में अनेक देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं, जिनकी विशेष धार्मिक मान्यताएं हैं। गर्भगृह में गणेश जी, गायत्री माता, और दुर्गा माता की मूर्तियां स्थापित हैं। हवन कुंड में दुर्गा माता की छोटी मूर्ति, संतोषी माता, लक्ष्मी-नारायण, दत्तात्रेय महाराज, और हवनकुंड का स्थल है। शिवालय में गणेश जी, कार्तिकेय जी, दो हनुमान जी, दो नंदी महाराज, शंकर जी, पार्वती माता, काली माता के अलावा शिवलिंग भी स्थापित हैं। मंदिर के पीछे गुरुजी की प्रतिमा है, और परिसर में नागा बाबा, महिषासुर मर्दिनी, सरस्वती माता और लक्ष्मी माता की प्रतिमाएं भी श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र हैं। इसके अलावा, मंदिर के बाहर एक और शिवालय है, जिसमें शंकर जी अपने परिवार के साथ विराजमान हैं।
एक अनूठा धार्मिक स्थल
शुक्लागंज के दुर्गा मंदिर में स्थापित इन 30 प्रतिमाओं की धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यता भी बहुत खास है। यह मंदिर जिले में सबसे अधिक प्रतिमाओं वाला मंदिर माना जाता है, जिसमें विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना होती है। जिले में अन्य प्रमुख मंदिर भी हैं, लेकिन यहां की धार्मिक विविधता और आस्थाओं का मिलाजुला रूप इसे एक अद्वितीय स्थल बनाता है।
नवरात्र पर उमड़ता है भक्तों का रैला
दुर्गा मंदिर के प्रति भक्तों की श्रद्धा का आलम यह है कि नवरात्रि के अलावा भी आम दिनों में यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। लोग अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए इस मंदिर में आते हैं और यहां के दिव्य वातावरण में अपने दुखों को समाप्त करने की प्रार्थना करते हैं। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यहां की 30 प्रतिमाओं का महत्व भक्तों के जीवन में विशेष स्थान रखता है।
आस्था का केन्द्र बना प्राचीन दुर्गा मंदिर
शुक्लागंज का दुर्गा मंदिर श्रद्धा, भक्ति और आस्था का अद्वितीय केन्द्र बन चुका है, जहां हर भक्त अपनी समस्याओं का समाधान तलाशने आता है और यहां की प्रतिमाओं से आशीर्वाद प्राप्त करता है। जिससे मंदिर भक्तों के लिये आस्था का केन्द्र बना हुआ है।
