गजब हाल : एसटी-एससी एक्ट के मामले स्थानांतरित अफसर और इंस्पेक्टर को बनाया जांच अधिकारी
एक माह पूर्व एसीपी और कुछ दिन पहले प्रभारी निरीक्षक का हो चुका है तबादला
Malihabad : लखनऊ कमिश्नरेट पुलिस अपने अजीबो-गरीब कारनामों से हमेशा सुर्खियों में रहती है। एक ऐसा ही मामला रहीमाबाद थाने में दर्ज हुआ है। जहां एसटी-एसटी एक्ट की धाराओं दर्ज की गई प्राथमिकी की जांच स्थानांतरित अफसर और इंस्पेक्टर के कंधों पर डाल दी गई है। जब मामला तूल पकड़ने लगा तब जिम्मेदार मामले को दबाने के लिए दलीलें देने लगे। इस प्राथमिकी में पूर्व एसीपी और इंस्पेक्टर को जांच अधिकारी बनाया गया है। जबकि, एक माह पहले पूर्व एसीपी स्थांतरण हो चुका है। जबकि, प्रभारी निरीक्षक को लाइन हाजिर कर लिया गया था। बाबजूद इसके ऐसी लापरवाही होना समझ से परे है।
दरअसल, रहीमाबाद थाना अंतर्गत भतोईया गांव निवासी शुभम ने मनकौटी गांव निवासी वकील, शकील, अकील, और अयान के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट की धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई है। लिखित शिकायत में पीड़ित ने बताया कि वह अपनी मां पूर्व प्रधान मुन्नी देवी के साथ कार से घर लौट रहे थे। भतोईया अंडरपास के पास आरोपितों ने उनकी गाड़ी को टक्कर मारने के बाद पीड़ित पर वजनदार हथियार से वार कर दिया था। इसके बाद आरोपितों ने पीड़ित और उनकी मां पर जातिसूचक टिप्पणी कर अपमानित किया था। हालांकि, पुलिस ने तहरीर के आधार सुंसगत धाराओं में प्राथमिकी तो दर्ज कर ली, लेकिन मामले की जांच पूर्व एसीपी अमोल मुर्कुट और पूर्व प्रभारी निरीक्षक अनुभव सिंह के हिस्से में रख दी।

हद तो तब हो गई जब दर्ज प्राथमिकी में स्थानांतरित प्रभारी निरीक्षक के डिजिटल हस्ताक्षर भी दर्ज किए गए हैं। ऐसे में पुलिस ने संगीन मामले की विवेचना का मखौल बना दिया। इस सम्बन्ध में वर्तमान प्रभारी निरीक्षक आनन्द द्विवेदी का कहना है कि पूर्व इंस्पेक्टर के डिटिजल हस्ताक्षर की आईडी में बदलाव नहीं हुआ है। जिस वजह से यह समस्या आई है, लेकिन पूर्व एसीपी को जांच अधिकारी बनाए जाने की बात पर वह जबाव नहीं दे सके।
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