पीलीभीत: जच्चा-बच्चा की मौत के बाद अस्पताल में हंगामा, स्टाफ ने खुद को किया कमरे में बंद
पीलीभीत, अमृत विचार: चेकअप के लिए आई प्रसूता को निजी अस्पताल के चिकित्सक ने डिलीवरी के लिए भर्ती कर लिया। आरोप है कि प्रसव को ले जाने से पहले लगाए गए गलत इंजेक्शन से जच्चा-बच्चा की मौत हो गई।
गुस्साए परिवार ने हंगामा शुरू कर दिया तो अस्पताल स्टाफ ने खुद को कमरे में बंद कर लिया और पुलिस को सूचना दे दी।
कोतवाल पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और कार्रवाई का आश्वासन देकर मृतका के परिवार को शांत कराया। देर रात तक पुलिस अस्पताल गेट पर शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैनात रही।
कस्बा बरखेड़ा के मोहल्ला कुंदनपुर गौटिया के रहने वाले सचिन उत्तराखंड के रुद्रपुर में मजदूरी करते हैं। उनकी पत्नी सुमन (29) नौ माह की गर्भवती थी।
शनिवार दोपहर करीब साढ़े बारह बजे वह अपनी बहन के साथ बाइक पर बैठाकर गर्भवती पत्नी का चेकअप कराने के लिए माधोटांडा रोड पर स्थित निजी अस्पताल लाए थे।
उन्होंने बताया कि इस दौरान चिकित्सक ने ये कहकर भर्ती कर लिया कि वह आज ही डिलीवरी करा देंगे। इसे लेकर दिनभर भर्ती रखा गया।
पत्नी भी परिवार के सदस्यों से ठीक से बोलती रही। उसे किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं थी। दस हजार रुपये में डिलीवरी कराने की बात तय की गई और परिवार से तीन हजार रुपये जमा करा लिए गए थे।
देर शाम डिलीवरी कराने से पहले प्रसूता को एक इंजेक्शन लगाया गया। आरोप है कि इसी के बाद प्रसूता की हालत बिगड़ना शुरू हो गई। रात करीब नौ बजे के आसपास एक नर्स ने आकर बताया कि जच्चा-बच्चा की मौत हो गई।
जिसके बाद परिवार वाले गुस्सा गए। चिकित्सक द्वारा जबरन डिलीवरी के लिए भर्ती करने और फिर गलत इंजेक्शन लगाने से मौत का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया।
आक्रोशित परिजन को देख अस्पताल स्टाफ ने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया। इसकी सूचना पुलिस को दी गई। कोतवाल राजीव कुमार सिंह पुलिस बल के साथ निजी अस्पताल पहुंचे। पुलिस के पहुंचने पर भी काफी देर तक स्टाफ बाहर नहीं निकला।
पुलिस ने मृतका के परिवार से पूरी जानकारी जुटाई और कार्रवाई का आश्वासन देकर शांत कराया। जच्चा बच्चा की मौत के बाद परिवार में चीख पुकार मची रही।
पुलिस की मानें तो देर रात दोनों पक्षों में सुलह हो गई। उधर, सीएमओ डॉ.आलोक कुमार का कहना है कि अभी तक कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। फिलहाल इस मामले की जानकारी कराई जाएगी।
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