Bareilly: डॉक्टर को लगा फिल्म भेड़िया और जुनून की कहानी सुना रहा मरीज...मगर मामला निकला कुछ और !

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Published By Monis Khan
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मेरे जिस्म में कीड़ा रेंग रहा है तो कोई कह रहा अंदर सो रहा जानवर

अंकित चौहान, बरेली। भेड़िया में वरुण धवन का किरदार और फिल्म की कहानी पर्दे पर लोगों को जरूर पसंद आई हो। मगर इस तरह के किसी इत्तेफाक पर असल जिंदगी में यकीन करना मुमकिन नहीं। जी हां एक ऐसी कहानी जिसमें इंसानी शरीर पूरी तरह एक खूंखार भेड़िया में तब्दील हो जाए। 

वरुण धवन की भेड़िया ही क्यों ?  राहुल रॉय की फिल्म जुनून को ही ले लीजिए। जिसमें राहुल रॉय रात होते ही एक आदमखोर बाघ की शक्ल अख्तियार कर लेते हैं। फिल्मों ये रोमांचक कहानियां पर्दे तक तो रोंगटे खड़े कर देती हैं। मगर दिक्कत उस वक्त शुरू होती है जब असल जिंदगी में कोई शख्स अपने शरीर में जानवर घुस जाने की बात करे। जी हां बरेली जिला अस्पताल के मन कक्ष में इसी तरह के मामले सामने आए। जिन्हें सुनने के बाद डॉक्टर्स का सर भी चकरा गया।

''साहब मेरे जिस्म में कीड़ा रेंग रहा है। कभी दिल पर आ जाता है तो कभी पैरों में चहलकदमी कर रहा है''...। जी हां, पिछले दो माह में जिला अस्पताल के मन कक्ष में कई चौंकाने वाले मामले पहुंचे हैं। जिसमें मरीज ने बताया कि उनके शरीर में कीड़ा प्रवेश कर गया है। तो किसी मरीज ने अपने शरीर में जानवर घुसने की बात बताई। मन कक्ष प्रभारी डॉ. आशीष के अनुसार दो माह में पांच ऐसे में मामले आए। सभी मरीज बुजुर्ग हैं। एक ने बताया कि शरीर में कीड़ा रेंग रहा है तो एक ने कहा कि जिस्म में कई दिनों से जानवर आराम कर रहा है रात में बोलता भी है। 

ये बीमारी पैदा करती है वहम
जाहिर है ऐसी बातें सुनकर किसी का भी सर चकरा जाए। मगर मेडिकल साइंस का इस सबसे निपटने के अपने फंडे हैं। डॉक्टर आशीष के मुताबिक लंबी काउंसिलिंग के बाद वो इस नतीजे पर पहुंचे कि मरीज सायकोटिक को डिसआर्डर है। उन्होंने बताया कि काउंसिलिंग के दौरान मरीज बार-बार विचलित हो रहे थे। लिहाजा उनको समझाने के साथ काउंसिलिंग की जा रही है।

सदस्यों से हो रहे उग्र, करा ली कई जांचें
मरीजों ने अपने परिवार के सदस्यों से इस तरह की बातें बताईं तो पहले सभी ने हंस कर टाल दिया, लेकिन कई दिनों से लगातार इस तरह की हरकत करने पर परिजन परेशान हो उठे। अल्ट्रासाउंड, एमआरआई और सीटी स्कैन समेत तमाम जांचें भी करा लीं लेकिन कुछ नहीं आया। इसके बाद परिचितों की सलाह पर परिजन मरीजों को लेकर मन कक्ष आए।

क्या है सायकोटिक डिसआर्डर
डा. आशीष के अनुसार यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति को वास्तविकता से संपर्क खोने का अनुभव होता है। इससे कठिनाई होती है। यह व्यक्ति की सोचने, समझने और व्यवहार करने की क्षमता को प्रभावित करता है। सायकोटिक डिसऑर्डर में भ्रम, मतिभ्रम, अव्यवस्थित सोच और विचित्र व्यवहार दिखाई देता है। इस स्थिति में वह ऐसी चीजों को देखने, सुनने, महसूस करने या मानने लगता है, जो वास्तव में होती ही नहीं हैं।

ये हो सकते हैं कारण
आनुवांशिकी, शारीरिक बीमारी, नींद की कमी और मादक पदार्थ या गलत दवाइयों का सेवन। इसके अलावा अधिक उम्र में अल्जाइमर या मानसिक भ्रम जैसे तंत्रिका विकार भी इसके कारण हो सकते हैं।

 

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