हज आजमीन के लिए सऊदी में किचन खत्म, आजमीनों को खुद करनी होगी खाने-पीने की व्यवस्था, 2100 रियाल देने का सिस्टम भी खत्म
कानपुर, अमृत विचार। हज पर जाने वालों को सऊदी अरब में जिन होटलों में ठहराया जा रहा है, वहां इस बार किचन नहीं दिया जा रहा है। खाने-पीने की व्यवस्था आजमीन को खुद करनी होगी। ऐसे में हजारों रुपये अतिरिक्त का बोझ आजमीन पर पड़ना तय है।
उत्तर प्रदेश राज्य हज समिति की ओर से पिछले वर्ष तक जो लोग हज के लिए जाते थे, उन्हें किचन उपलब्ध कराया जाता था ताकि खाना वहीं बना लें। अक्सर होता ये था कि कोई सिर्फ चाय बना रहा है तो कोई पूरा खाना बना रहा है और पैसा पूरा सबको बराबर से देना होता था जिससे आपस में काफी लड़ाई झगड़ा होता था। जिससे अब हज कमेटी ने किचन सिस्टम ही खत्म कर दिया है। अब सऊदी में आजमीन के पास होटल में खाना खाने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है।
हज कमेटी पिछले साल तक होटल में किचन उपलब्ध कराती थी ताकि जिसे जो बनाना है, वह बना ले। लेकिन कई बार आग लग गई और कई बार आपस में झगड़ा करने लगते थे। इसलिए हज कमेटी ने किचन सिस्टम खत्म कर दिया है। - सरदार खां, प्रतिनिधि, पूर्व मास्टर ट्रेनर हज कमेटी
आजमीन पर 40 से 50 हजार का अतिरिक्त खर्च
सऊदी में सुबह का नाश्ता, दोपहर का खाना, शाम का नाश्ता, दिन में कई बार चाय, रात का खाना के लिए हजारों रुपये प्रतिदिन अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ेगा। पहले किचन मिलने पर लोग खाने की कच्चा सामग्री लाते थे और होटल में ही बना लेते थे लेकिन अब ये सिस्टम ही खत्म हो गया है। हज आजमीन को सऊदी में 42 दिन ठहरना है। ऐसे में एक दिन में यदि 1000 रुपये भी खर्च हो रहे हैं तो 42 दिन में 42000 रुपये खर्च होंगे। यदि हज पर गए परिवार में तीन चार लोग हैं तो अंदाजा लगा लीजिए कि आजमीन पर कितना अतिरिक्त बोझ बढ़ जाएगा।
2100 रियाल देने का सिस्टम भी खत्म
हज कमेटी पहले अपने हज आजमीन को सऊदी में 2100 रियाल यानी लगभग 40000 भारतीय मुद्रा वापस करती थी जिससे आजमीन अपने खाने पीने का सामान लेते थे और खरीददारी भी करते थे। हज कमेटी ने अब 2100 रियाल देने का सिस्टम खत्म कर दिया है। इस बार हज बहुत महंगा है। हर हज आजमीन को लगभग 4 लाख रुपये खर्च करने होंगे।
