बांग्लादेश : मुश्किल में आयी यूनुस की अंतरिम सरकार, राजनीतिक अस्थिरता के चलते इस्तीफा देने पर विचार
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ढाका। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं, क्योंकि राजनीतिक दलों के बीच सहमति नहीं बन पाने के कारण उन्हें काम करना मुश्किल लग रहा है। बीबीसी बांग्ला सेवा ने बृहस्पतिवार देर रात नेशनल सिटिजन पार्टी के प्रमुख नाहिद इस्लाम के हवाले से यह खबर दी। इस्लाम ने बीबीसी बांग्ला से कहा, ‘‘हम आज सुबह से ही सर (यूनुस) के इस्तीफे की खबर सुन रहे हैं।
इसलिए मैं इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए सर से मिलने गया था। उन्होंने कहा कि वह इस बारे में सोच रहे हैं। उन्हें लगता है कि स्थिति ऐसी है कि वह काम नहीं कर सकते।’’ छात्रों के नेतृत्व वाली नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) के संयोजक ने कहा कि मुख्य सलाहकार यूनुस ने आशंका जताई कि देश की मौजूदा स्थिति में वह काम नहीं कर पाएंगे।
इस्लाम के मुताबिक यूनुस ने कहा, ‘जब तक राजनीतिक दल सहमति नहीं बना लेते, मैं काम नहीं कर पाऊंगा।’ इस साल फरवरी में यूनुस के मार्गदर्शन में राजनीतिक पटल पर उभरे एनसीपी के नेता ने कहा कि उन्होंने यूनुस से कहा कि ‘‘देश की सुरक्षा और भविष्य के लिए मजबूत बने रहें और जन-विद्रोह की उम्मीदों पर खरा उतरें।’
इस्लाम के मुताबिक, उन्होंने मुख्य सलाहकार से कहा कि उन्हें उम्मीद है कि राजनीतिक दल एकजुट होकर उनके साथ सहयोग करेंगे और ‘मुझे उम्मीद है कि हर कोई उनके साथ सहयोग करेगा’। हालांकि, एनसीपी नेता ने कहा कि अगर यूनुस अपना काम नहीं कर सकते तो उनके रहने का कोई मतलब नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘अगर राजनीतिक दल चाहता है कि वह अभी इस्तीफा दे दें... अगर उन्हें भरोसे का वह स्थान नहीं मिले तो वह क्यों रुके रहेंगे?’ पिछले दो दिन में यूनुस की सरकार को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, जिनमें से एक प्रमुख चुनौती बांग्लादेश के संभवतः समेकित सैन्य बलों से जुड़ी थी, जिसने पिछले साल छात्रों के नेतृत्व में हुए विद्रोह के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
आंदोलन के चलते पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग सरकार को अपदस्थ कर दिया गया और यूनुस को सत्ता पर काबिज किया गया। विरोध के दौरान सेना ने विद्रोह को दबाने के लिए बुलाए जाने के बावजूद प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई नहीं की। हालांकि, सेना ने वायुसेना के विमान का उपयोग करके हसीना के सुरक्षित तरीके से भारत जाने में मदद की और यूनुस को मुख्य सलाहकार, प्रभावी रूप से प्रधानमंत्री के रूप में स्थापित किया गया, जो ‘स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन’ (एसएडी) की मांग के अनुरूप था। एसएडी का ही एक बड़ा हिस्सा अब एनसीपी के रूप में उभरा है।