चेन्नईः अन्ना विश्वविद्यालय के यौन उत्पीड़न मामले में ज्ञानशेखरन दोषी करार, दो जून को अदालत सुनाएगी फैसला 

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Published By Muskan Dixit
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चेन्नई। तमिलनाडु की एक महिला अदालत ने अन्ना विश्वविद्यालय की छात्रा के यौन उत्पीड़न के सनसनीखेज मामले में बुधवार को आरोपी बिरयानी विक्रेता ए. ज्ञानशेखरन को दोषी करार दिया। अभियोजन पक्ष ने अदालत से दोषी के लिए ‘‘अधिकतम सजा’’ का अनुरोध किया है। 

अदालत ने माना कि अभियोजन पक्ष ने मामले को साबित कर दिया और संदेह की कोई गुंजाइश नहीं है। साथ ही, अदालत ने यौन उत्पीड़न के इस मामले में ज्ञानशेखरन को उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों में दोषी पाया। दिसंबर 2024 की इस घटना ने राज्य को झकझोर कर रख दिया था। महिला अदालत की न्यायाधीश राजलक्ष्मी ने कहा कि वह दो जून को मामले में फैसला सुनाएंगी। 

सरकारी वकील ने बाद में संवाददाताओं को बताया कि अभियोजन पक्ष ने ज्ञानशेखरन के खिलाफ 11 आरोप दाखिल किए और दस्तावेजी एवं फोरेंसिक साक्ष्यों का उपयोग करके सभी आरोपों को साबित कर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘आज, अदालत ने ज्ञानशेखरन को दोषी करार दिया। सजा के बारे में विवरण दो जून को दिया जाएगा।’’ 

बुधवार को अदालत की कार्यवाही के बारे में संक्षिप्त जानकारी देते हुए उन्होंने संकेत दिया कि ज्ञानशेखरन ने यह दावा किया था कि वह परिवार में कमाने वाला एकमात्र व्यक्ति है और इसके आधार पर उसने अदालत से सजा में नरमी बरतने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा, ‘‘अभियोजन पक्ष ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई और अधिकतम सजा का अनुरोध किया।’’ 

इस सनसनीखेज मामले के बाद तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के साथ आरोपी व्यक्ति के कथित संबंधों को लेकर राजनीतिक विवाद उठ गया था। हालांकि पार्टी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने जनवरी में कहा था कि ज्ञानशेखरन द्रमुक का सदस्य नहीं था, वह केवल पार्टी के प्रति झुकाव रखता था और इसका समर्थक था। मामला तब प्रकाश में आया जब पीड़िता ने पिछले साल 23 दिसंबर को कोट्टूरपुरम के अखिल महिला थाने में शिकायत दर्ज कराई। 

पीड़िता ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि जब वह अपने पुरुष मित्र के साथ थी, तब ज्ञानशेखरन ने उसे धमकाया और फिर उसका यौन उत्पीड़न किया। बाद में ज्ञानशेखरन को गिरफ्तार कर लिया गया। मामले की प्राथमिकी तमिलनाडु पुलिस की अपराध एवं अपराधी निगरानी नेटवर्क एवं प्रणाली (सीसीटीएनएस) वेबसाइट से डाउनलोड की गई और मीडिया के कुछ वर्गों द्वारा प्रसारित की गई, जिससे हंगामा मच गया। बाद में मद्रास उच्च न्यायालय ने मामले की जांच एक विशेष जांच दल को सौंप दी, जिसने प्राथमिकी लीक होने की भी जांच की। एसआईटी ने फरवरी में मजिस्ट्रेट अदालत में आरोप पत्र दायर किया। इसके बाद मामला महिला अदालत को सौंप दिया गया। 

महिला अदालत ने ज्ञानशेखरन के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय किए, जिनमें यौन उत्पीड़न, बीएनएसएस, आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी) अधिनियम और तमिलनाडु महिला उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम शामिल हैं।

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