कानपुर : मंधना में निर्धारित किया जा सकता है भूमि का मुआवजा 

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Published By Vinay Shukla
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801.603 एकड़ भूमि पर बसाया जाना है औद्योगिक क्षेत्र, 75 एकड़ भूमि का मुआवजा नहीं दे पाया था यूपीसीडा

कानपुर : मंधना औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना के लिए उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) नए सिरे से मुआवजा का निर्धारण कर सकता है ताकि किसानों से रार खत्म हो और औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना की राह आसान हो सके। अभी तो यहां किसान बाजार दर या सर्किल रेट में जो अधिक हो उसका चार गुना मुआवजा लेने पर अड़े हुए हैं। ऐसे में यहां प्राधिकरण न तो विकास  कर पा रहा है और न ही किसान भूमि को बेच पा रहे हैं। मुआवजा बढ़ाने के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई जाए इस पर निर्णय चार जून को होने वाली बैठक में तय हो जाएगा। ज्यादा उम्मीद है कि पूर्व में जारी अधिसूचना को रद कर नए सिरे से अधिसूचना जारी कराई जा सकती है। या फिर ट्रांसगंगा सिटी की तर्ज पर यहां एक्सग्रेसिया के रूप में मुआवजा बढ़ाकर दिया जा सकता है। विकसित भूमि भी उन्हें मिल सकती है। 


प्राधिकरण ने 2008-2009 में मंधना के कुकरादेव, शादीपुर, विरतियान बिठूर, पचोर, भवानीपुर, बहलोलपुर, पेम, बगदौदी बांगर गांवों की भूमि के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की थी। तब यहां इंटीग्रेटेड टाउनशिप बसाने का निर्णय लिया गया था। तब 801.603 एकड़ भूमि अधिग्रहीत होनी थी। प्रबंधन ने 6 अक्अूबर 2009 से 16 जुलाई 2011 के बीच 81 करोड़ रुपये मुआवजा बांटने के लिए जिला प्रशासन को दे दिया था। मुआवजा राशि सात लाख रुपये प्रति बीघा की दर से बांटी जानी थी। मुआवजा वितरण के साथ ही 791.485 एकड़ भूमि पर कब्जा भी प्रबंधन ने ले लिया था। मुआवजा वितरण सिर्फ 75 एकड़ भूमि का रह गया था। इसी बीच किसानों ने आंदोलन शुरू किया।

2012 का विधानसभा चुनाव होना था तो सभी दलों के प्रत्याशी किसानों के समर्थन में आ गए। परिणाम स्वरूप किसानों से वहां प्राधिकरण द्वारा बनाई गई सड़कों को खोद दिया और खेती शुरू कर दी। स्थिति यह हुई कि जब भी पुलिस बल के साथ कब्जा लेने की कोशिश हुई किसान उग्र हो गए और विकास नहीं हो पाया। कई बार पंचायत हुई फिर भी बात नहीं बनी। हालांकि अब उम्मीद जगी है क्योंकि जनप्रतिनिधि खुद किसानों से बात करने के लिए आगे आ रहे हैं।

अधिसूचना रद करने का निर्णय पूर्व में हो चुका है। 
जब भूमि अधिग्रहण हुआ था तब प्राधिकरण नहीं था। उस समय उप्र राज्य औद्योगिक विकास निगम काम कर रहा था। बाद में इसका नाम बदला। निगम के एमडी रहते हुए राजेश कुमार सिंह ने शासन को एक प्रस्ताव भेजा था और कहा था कि भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना रद कर दी जाए। बतौर मुआवजा जो राशि किसानों को दी गई है वह वापस ले ली जाएगी। तब किसान सहमत थे लेकिन इस प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिल पायी थी। 

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