प्रयागराज : जनहित याचिका को मनमाने ढंग से वापस लेने का अधिकार नहीं
प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याची द्वारा एक जनहित याचिका को वापस लेने के अनुरोध को अस्वीकार करते हुए कहा कि जब कोई जनहित से जुड़ा मामला अदालत के संज्ञान में आ जाता है, तो याची को उसे मनमाने ढंग से वापस लेने का अप्रतिरोध्य अधिकार नहीं होता है। एक बार जब कोई जनहित से जुड़ा मामला इस न्यायालय के संज्ञान में आ जाता है, तो अगर याची उसे छोड़ देता है, तो न्यायालय उसे किसी अन्य जनहितकर्ता व्यक्ति को हस्तांतरित कर सकता है अथवा उस पर स्वत: संज्ञान लेकर मामले को आगे बढ़ा सकता है।
उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति जे जे मुनीर की एकलपीठ ने छेदीलाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए की। याचिका में आरोप लगाया गया था कि विपक्षी संख्या 5/केसर सिंह ने फतेहपुर जनपद के तहसील खागा अंतर्गत ग्राम रक्षपालपुर के कई गाटा नम्बरों—276, 294, 308, 292, 298, 299, 295 एवं 296—पर अवैध कब्जा कर रखा है, जबकि उक्त सभी भूमि ग्राम सभा, खलिहान, खाद गड्ढा और बंजर के रूप में दर्ज हैं। याची के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि केसर सिंह एक भू- माफिया है, जिसके खिलाफ फतेहपुर में हत्या के प्रयास, गुण्डा एक्ट, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और धमकी देने जैसे 16 आपराधिक मामले दर्ज हैं।
अंत में कोर्ट ने विपक्षी को नोटिस जारी कर अगली तारीख तक जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें उन्हें अपनी आपराधिक पृष्ठभूमि तथा याची को धमकी दिए जाने के आरोपों का स्पष्टीकरण देना होगा। इसके अलावा जिलाधिकारी, फतेहपुर और उपजिलाधिकारी, खागा को निर्देश दिया कि वे जांच कर 29 मई 2025 तक यह रिपोर्ट प्रस्तुत करें कि क्या उपरोक्त गाटा संख्याएं वास्तव में ग्राम सभा अथवा सार्वजनिक उपयोग की भूमि हैं और क्या उन पर वास्तव में विपक्षी द्वारा कब्जा किया गया है।
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