बदायूं: माला बनाकर पिरोई परिवार की डोर...दूसरों का बनी सहारा

Amrit Vichar Network
Published By Monis Khan
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केपी शर्मा, बदायूं। पिता की मौत के बाद परिवार का पालन पोषण करने के लिए एक किशोरी ने हौसला नहीं हारा। अपनी मेहनत के बल मोतियों की माला बनाकर रुपये कमाए। परिवार का पेट भरने के साथ ही भाई को पढ़ाया। हिचक और संकीर्ण विचारधारा को दरकिनार करते हुए न केवल परिवार को संवारा बल्कि अन्य कई युवतियों को पैसा कमाने का मार्ग प्रशस्त कर दिया। इसके बाद आज गांव में घर-घर में मोतियों की माला बना कर महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं।

हिम्मत और हौसला हर किसी में नहीं होता है। इसी समाज में कुछ किशोरियां ऐसी हैं जिन्होंने खुद का परिवार संभाला और अन्य को कमाई करने को भी प्रेरित किया। ब्लॉक जगत के ग्राम झंडपुर निवासी पप्पू की दस साल पूर्व मौत हो चुकी थी। पत्नी, दो बेटियां और एक बेटा था। परिवार के सामने भुखमरी की नौबत आ गई। पप्पू की बड़ी बेटी 14 साल की पारुल थी। उसने शहर के एक सुनार से बात की और मोतियों की माला बनाने का काम ले लिया। पारुल को एक माला बनाने पर एक रुपया मिलता था। सुनार ने पारुल को मोती धागा सुई दे दी। कहा जब 100 माला बन जाएं तो ले आना। पारूल ने रात दिन मेहनत से काम करना शुरू कर दिया। उसने दो दिन में 100 माला बना दी। इसके बाद पारुल ने 200 माला का सामान लिया और कुछ ही दिनों में माला बनाकर उसका पैसा भी ले लिया। इस तरह पारुल का हौसला बढ़ता गया। उसने रात दिन मेहनत कर पहले माह में दो हजार रुपये पैदा किए। इससे परिवार का खर्च चला।

पैसा जोड़कर भाई को स्कूल भेजना शुरू किया
परिवार का पालन पोषण करने के बाद पारुल ने 2016 में अपने भाई को स्कूल भेजना शुरू किया। भाई ने अब हाईस्कूल कर लिया है। वह आगे की पढ़ाई करने की तैयारी कर रहा है। पारूल ने बताया कि शुरू में उसे कुछ लोगों की आलोचना सुननी पड़ी, लेकिन कुछ माह बाद ही अन्य युवतियां और कई महिलाएं उनसे जुड़ गईं। उन्हें भी माला बनाने का काम सिखाया। इससे पारुल की कमाई में कुछ और इजाफा हो गया। पारुल ने हाईस्कूल करने के बाद परिवार के भरण पोषण के चलते खुद आगे की पढ़ाई नहीं की। उन्होंने अपना काम शुरू कर पेट भरने का जुगाड़ किया। यह जुगाड़ आज उसे ख्याति दिला रहा है।

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