कंपनी में काम करने वाले 51 प्रतिशत कर्मचारी भारी तनाव में, शोध में हुआ खुलासा 

Amrit Vichar Network
Published By Virendra Pandey
On

नई दिल्ली। भारतीय कार्पोरेट क्षेत्र में 51 प्रतिशत कर्मचारी भारी तनाव में हैं और थकावट, चिंता , हताशा जैसे और मानसिक दबाव से जूझ रहे हैं। एक अध्ययन में कहा गया है कि भारतीय कर्मचारियों में थकावट, चिंता, हताशा और मानसिक तनाव के लक्षण बड़े पैमाने पर देखे जा रहे हैं। करीब 60 प्रतिशत कर्मचारियों ने थकावट की शिकायत की जबकि 51 प्रतिशत ने बताया कि वे काम के भारी दबाव में हैं। इसलिए कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य को लेकर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता हैं। 

भारतीय कार्पोरेट मे कार्यस्थल पर कर्मचारियों के व्यवहार पर अध्ययन करने वाले गैर सरकारी संगठन ‘ द लिव लव लाफ फाउंडेशन’ ने कहा,“ हमें एक ऐसा माहौल बनाना होगा जो सहानुभूति पर आधारित हो, जहां लोग मानसिक रूप से सुरक्षित महसूस करें, खुलकर बात कर सकें और जरूरत पड़ने पर मदद ले सकें। मानसिक कल्याण कार्यों में निवेश करना सिर्फ एक नैतिक ज़िम्मेदारी नहीं, बल्कि एक समझदारी भरा व्यवसायिक फैसला भी है जो कंपनी और देश की अर्थव्यवस्था दोनों को मजबूत करता है।” एक अन्य के अनुसार भारत में कर्मचारियों के खराब मानसिक स्वास्थ्य के कारण भारतीय कंपनियों को हर साल 1,10,000 करोड़ रुपए , लगभग 14 अरब का नुकसान होता है। 

फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. श्याम भट ने कहा कि भारतीय कंपनियों को सिर्फ कर्मचारी सहायता कार्यक्रमों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। सालाना सर्वेक्षण या तात्कालिक उपायों की बजाय, कार्यस्थल की मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों की जड़ तक पहुंचने और उन्हें दूर करने के लिए डेटा-आधारित और व्यवस्थित दृष्टिकोण अपनाना होगा। ट्रस्टी एवं बायोकॉन समूह की प्रमुख ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य संपूर्ण स्वास्थ्य का एक जरूरी हिस्सा है और कंपनियों को समझना चाहिए कि इसका सीधा असर उनकी उत्पादकता, नवाचार और दीर्घकाल पर पड़ता है। अगर कर्मचारी तनाव में हैं और कार्य से जुड़ाव नहीं महसूस कर रहे, तो यह उनकी क्षमता और नए विचारों को बाधित करता है, जिससे कारोबार और अर्थव्यवस्था दोनों प्रभावित होते हैं। 

यह भी पढ़ेः पंजाब से एक और जासूस यूट्यूबर गिरफ्तार, ज्योति मल्होत्रा से भी मिला खास कनेक्शन, 3 बार की पाकिस्तान यात्रा

संबंधित समाचार