जापान का मून मिशन ‘Resilience’ हुआ फेल, चांद पर लैंडिंग से पहले टुटा संपर्क 

Amrit Vichar Network
Published By Anjali Singh
On

टोक्यो। जापान के टोक्यो स्थित अंतरिक्ष स्टार्टअप आईस्पेस ने शुक्रवार की सुबह लैंडर से संपर्क टूटने के बाद अपने चंद्र लैंडिंग मिशन की विफलता की आधिकारिक पुष्टि की है। iSpace ने जापान समयानुसार सुबह 9:00 बजे के बाद आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह निर्धारित करने के बाद मिशन के समापन की घोषणा की कि लैंडर के साथ संचार फिर से शुरू करना अब संभव नहीं था। उन्होंने बताया कि फ्लोरिडा से जनवरी में लॉन्च किया गया लैंडर सफलतापूर्वक चंद्र की कक्षा में प्रवेश कर गया और आज सुबह लगभग 3:00 बजे 100 किलोमीटर की ऊंचाई से उतरना शुरू कर दिया। 

इसे सुबह 4:17 बजे मारे फ्रिगोरिस के पास एक समतल क्षेत्र में सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी, जिसे चंद्रमा के उत्तरी गोलार्ध में ''शीत सागर'' के रूप में भी जाना जाता है। आईस्पेस ने बताया कि हालांकि सुबह 4:30 बजे तक उसने लैंडर के साथ संचार स्थापित नहीं किया था और स्थिति की जांच शुरू कर दी थी। टीम ने निष्कर्ष निकाला कि मिशन सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफल नहीं हुआ। 

निजी लैंडर हुआ दुर्घटनाग्रस्त

जापान का एक निजी लैंडर शुक्रवार को चंद्रमा पर उतरने का प्रयास करते समय दुर्घटनाग्रस्त हो गया। तोक्यो स्थित कंपनी आईस्पेस ने लैंडर से संपर्क टूटने के कई घंटे बाद मिशन को विफल घोषित किया। प्रक्षेपण नियंत्रकों ने संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उन्हें कोई संदेश नहीं मिला जिसके बाद उन्होंने कहा कि वे मिशन को समाप्त कर रहे हैं। अंतरिक्ष यान के मिनी रोवर के साथ चंद्रमा पर उतरने से दो मिनट पहले ही संचार बंद हो गया। उससे पहले तक ऐसा लग रहा था कि चंद्रमा की कक्षा से उतरने की प्रक्रिया सुचारू रूप से चल रही है। 

iSpace का दूसरा चंद्र मिशन असफल 

आईस्पेस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और संस्थापक ताकेशी हाकामादा ने मिशन में योगदान देने वाले सभी लोगों से माफी मांगी। यह आईस्पेस का दूसरा चंद्र मिशन था। कंपनी का चंद्रमा पर पहुंचने का पहला प्रयास भी दो साल पहले विफल रहा था जिसके बाद इसके लैंडर का नाम ‘रेसिलिएंस’ रखा गया। ‘रेसिलिएंस’ चंद्रमा की धूल इकट्ठा करने के लिए फावड़े के साथ एक रोवर और चंद्रमा की धूल भरी सतह पर रखने के लिए एक स्वीडिश कलाकार का बनाया लाल रंग का खिलौनाघर भी लेकर गया था। 

कंपनी के अधिकारियों ने कहा कि यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि क्या एक ही समस्या के कारण दोनों मिशन असफल हुए। हाकामादा ने संवाददाताओं से कहा, ‘यह दूसरी बार है जब हम उतरने में असमर्थ रहे। इसलिए हमें इसे बहुत गंभीरता से लेना होगा।’ उन्होंने कहा कि कंपनी और अधिक चंद्र मिशनों पर काम करेगी।

ये भी पढ़े : पुतिन-ट्रंप वार्ता के दौरान भारत-पाक संघर्ष को लेकर हुई चर्चा, शहबाज शरीफ ने पत्र लिखकर की ये अपील

संबंधित समाचार