World Blood Donor Day: इन्हें है रक्तदान कर दूसरों की जान बचाने का जुनून, दूसरों को भी कर रहे प्रेरित

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Published By Muskan Dixit
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पंकज द्विवेदी, लखनऊ, अमृत विचार : रक्तदान को लेकर अभी भी समाज में ऐसी मानसिकता बनी हुई है कि रक्तदान करने के बाद शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं होता। रक्तदान करने से किसी भी तरह का नुकसान तो नहीं है बल्कि स्वास्थ्य को लेकर फायदे बहुत हैं। विशेषज्ञों का दावा है कि रक्तदान से हार्ट अटैक जैसे खतरे कम हो जाते हैं। छिपी हुई बीमारियों का समय से पता चल जाता है। सबसे बड़ी बात आपके रक्तदान करने से दूसरे की जिंदगी बच जाती है। इसलिए रक्तदान को सबसे बड़ा दान कहा गया है। 14 जून को रक्तदाता दिवस की पूर्व संध्या पर शुक्रवार को ''अमृत विचार'' ने शहर के कुछ ऐसे महादानियों से बातचीत की जिन्होंने इसे जूनून बना लिया है। पेश है एक रिपोर्ट-

पवन सिंह
उम्र 48, रक्तदान 42 बार

सीतापुर रोड प्रियदर्शनी कॉलोनी के रहने वाले पवन सिंह हर समय रक्तदान के लिए तैयार रहते हैं। पवन बताते हैं कि उनकी उम्र 48 साल है, अब तक उन्होंने 42 बार से अधिक रक्तदान कर चुके हैं। शुरुआत वर्ष 1996 में पीजीआई में अपने ताऊ के बेटे को खून देकर की थी। मेरा मानना है कि रक्तदान करने से दूसरे की जिंदगी बचती है। ये हमें बहुत सुकून देता है।

 

राजेश प्रसाद
पहली बार दोस्त की बचाई जान

जानकीपुरम के रहने वाले राजेश प्रसाद (49) प्रॉपर्टी का काम करते हैं। राजेश के मुताबिक करीब 15 साल पहले आजमगढ़ के रहने वाले दोस्त को बीमार होने पर लखनऊ के एक अस्पताल में भर्ती करवाया था। डॉक्टर ने खून की जरूरत बताई। दीवाली की रात होने के कारण कोई डोनर नहीं मिल रहा था। उस समय दोस्त की जान बचाने के लिए पहली बार खून दिया। अब वह नियमित खून दे रहे हैं। जरूरतमंदों को दूसरे शहर भी जाकर खून देने में पीछे नहीं हटते हैं। अब तक 19 बार खून दे चुके हैं।

 

दिनेश सिंह भदौरिया
1993 में दिया था पहली बार खून

जानकीपुरम के दिनेश सिंह भदौरिया (49) ट्रेवेल्स का काम करते हैं। दिनेश सिंह के मुताबिक अब तक वह 32 बार से अधिक खून दे चुके हैं। शुरुआत1993 में हुई थी। उस समय लोग रक्तदान करने को लेकर इतना जागरूक नहीं थे। आज भी जब किसी जरूरतमंद की कॉल आती है वह रक्तदान के लिए तैयार रहते हैं। दूसरों को भी रक्तदान के प्रति जागरूक कर रहे। दिनेश का कहना है उन्होंने ऐसे भी केस देखें हैं कि जब खून देने की बात आती है तो मरीज के अपने भी दूरी बना लेते हैं।

ओम सिंह
जरूरतमंदों को मिलता रहे खून,इसलिए लगवाती है शिविर

महानगर की रहने वाली मनोवैज्ञानिक, पर्यावरणविद और समाजसेविका ओम सिंह चैतन्य वेलफेयर फाउंडेशन संस्था की स्थापना 2016 में की थी। तब से प्रत्येक वर्ष कम से कम 2 बार रक्तदान शिविर का आयोजन करा रहीं हैं। ओम सिंह का कहना है कि शिविर में आने वाले यूनिट की संख्या गिनना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन हर शिविर में रक्तदाताओं की न्यूनतम संख्या 25 तो रही ही है। शिविर से प्राप्त डोनर कार्ड से गरीब और जरूरतमंदों को निःशुल्क रक्त दिलाने के उद्देश्य से ही ये शिविर निरंतर करवा रही हूं।

 

डॉ. तूलिका चंद्रा
महिलाओं की भागीदारी सिर्फ 5 फीसदी

केजीएमयू के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की प्रमुख प्रोफेसर डॉ. तूलिका चंद्रा का कहना है एक के रक्तदान करने से तीन की जान बचाई जा सकती है। वर्तमान में जरूरत के हिसाब से सिर्फ 50 फीसद ही दान से खून मिलता है। खून की उपलब्धता न होने के कारण बड़ी संख्या में मरीजों की जान जा रही है। इनमें महिलाओं की संख्या अधिक होती है फिर भी रक्तदान करने में महिलाओं की संख्या महज 5 फीसदी ही है। डॉ. तूलिका के मुताबिक रक्तदान से कोई भी साइडइफेक्ट्स नहीं है। राहत की बात यह है कि बीते कुछ सालों में प्रदेश में रक्तदान में सुधार हुआ है। रक्तदान के लिए विशेष रूप से युवा आबादी की मानसिकता में बदलाव के साथ-साथ बुजुर्ग आबादी की प्रेरणा की आवश्यकता है। बच्चों को रक्तदान के फायदे बताने की जरूरत है ताकि वे रक्तदान के प्रति अपनी आशंकाओं को दूर कर सकें। एक बार जब हम रक्तदान करते हैं तो हमारा पुराना रक्त अस्थि मज्जा नया रक्त बनाने के लिए उत्तेजित हो जाता है जो शरीर के लिए मजबूत और अधिक उपयोगी होता है। 18-55 साल के उम्र वाले कोई भी स्वस्थ व्यक्ति रक्तदान कर सकता है।

रक्तदान करने के फायदे

1- हार्ट अटैक कि संभावनाएं कम होती हैं। क्योंकि रक्तदान से खून का थक्का नहीं जमता, इससे खून कुछ मात्रा में पतला हो जाता है और हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है।

2- वजन कम करने में मदद मिलती है। इसीलिए हर साल कम से कम 2 बार जरूर रक्तदान करना चाहिए

3- शरीर में एनर्जी आती है। क्योंकि दान के बाद नए ब्लड सेल्स बनते हैं, जिससे शरीर में तंदरूस्ती आती है।

4- लिवर से जुड़ी समस्याओं में राहत मिलती है। शरीर में ज्यादा आयरन की मात्रा लिवर पर दवाब डालती है और रक्तदान से आयरन की मात्रा बैलेंस हो जाती है।

5-आयरन की मात्रा को बैलेंस करने से लिवर हेल्दी बनता है और कैंसर का खतरा भी कम हो जाता है।

रक्तदान करने से पहने रखें इन बातों का ध्यान

1- रक्तदान 18 साल की उम्र के बाद ही करें।

2- रक्तदाता का वजन 45 से 50 किलोग्राम से कम ना हो।

3-खून देने से 24 घंटे पहले से ही शराब, धूम्रपान और तम्बाकू का सेवन ना करें।

4 -खुद की मेडिकल जांच के बाद ही रक्तदान करें और डॉक्टर को सुनिश्चित करें कि आपको कोई बीमारी ना हो।

5- खून के दान करने से पहले अच्छी नींद लें, तला खाना और आइसक्रीम से परहेज करें

6- शरीर में आयरन कि मात्रा भरपूर रखें, इसके लिए दान से पहले खाने में मछली, बीन्स, पालक, किशमिश या फिर कोई भी आयरन से भरपूर चीजें खाएं।

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