कानपुर : भाजपा के दो और  विधायक सीएमओ के समर्थन में उतरे  

कानपुर : भाजपा के दो और  विधायक सीएमओ के समर्थन में उतरे  

एमएलसी विधायक अरुण पाठक व विधायक सुरेंद्र मैथानी ने लिखा पत्र 

कानपुर, अमृत विचार। डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह और सीएमओ डॉ.हरिदत्त नेमी के बीच चल रही खींचतान में भाजपा विधायक भी मैदान में उतर गए हैं। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना के बाद  भाजपा के दो और विधायकों ने सीएमओ का न सिर्फ पक्ष लिया, बल्कि उनका स्थानांतरण न किए जाने के संबंध में उप मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक को भी पत्र लिख दिया है, जिसमे उन्होंने सीएमओ को कानपुर नगर में ही बनाये रखे जाने का आग्रह किया है। 

सोशल मीडिया में एक ऑडियो इन दिनों वायरल है, जिसमे एक व्यक्ति डीएम के खिलाफ अपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग कर रहा है। यह ऑडियो सीएमओ डॉ.हरिदत्त नेमी का बताया जा रहा है, जब इस संबंध में डीएम ने सीएमओ से जानकारी की तो उन्होंने साफ इंकार कर दिया और इस ऑडियो को ऑर्टिफिशियल इंटेलीजेंस द्वारा बनाकर बदनाम करना बताया। साथ ही सीएमओ ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इंकार किया। मामले में एमएलसी विधायक अरुण पाठक ने स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक को पत्र लिखा है, जिसमे उन्होंने कहा है कि डॉ.हरिदत्त नेमी का कार्य व व्यवहार आम जानमानस और जन प्रतिनिधियों के समक्ष मृदुल व सराहनीय है।

आम जनमानस के हित में केंद्र सरकार व प्रदेश सरकार द्वारा चलायी जा रही विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन सीएमओ द्वारा बहुत ही लगन से किया गया है। आग्रह है कि आम जानमानस व जन प्रतिनिधियों की भावनाओं के समादर में डॉ.हरिदत्त नेमी को यथावत् कानपुर नगर में ही बनाए रखे जाने के लिए नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही की जाए। गोविंद नगर से भाजपा विधायक सुरेंद्र मैथानी ने उप मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर सीएमओ की प्रशंसा की है और उन्होंने प्रबल संस्तुति की है कि सीएमओ को कानपुर नगर में ही बनाए रखा जाए। मामले में सीएमओ डॉ.हरिदत्त नेमी का कहना है कि व्यवस्था सुधारने के लिए उन्होंने विभाग में सख्ती की है, जिसकी वजह से नाखुश लोगों ने उनके बारे में डीएम को गलत फीड दिया है।  

एक फर्म का भुगतान रोकने व विभागीय पटल तो नहीं मामले की वजह 
सीएमओ डॉ.हरिदत्त नेमी के आने से पहले स्वास्थ्य विभाग में एक फर्म को जिले में दवा सप्लाई करने का सौदा तय हुआ था, जिसका भुगतान करीब डेढ़ करोड़ होना है। सीएमओ ने के पास जब इसके भुगतान की फाइल पहुंची तो उनको अनियमिकता मिली, जिसके बाद उन्होंने फर्म का भुगतान रोक दिया। वहीं, विभागीय पटल से नाराज लोगों द्वारा भी साजिश रची जा सकती है। बताया कि डैश बोर्ड की बैठक से बाहर निकाला जाना एक अपमानजनक स्थिति है। कुछ लोगों ने ऑडियो क्लिप बनवाकर सोशल मीडिया पर शेयर की है, जिसका संबंध उनसे नहीं है। बदनाम करने की साजिश है।

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