यूपी में सड़क निर्माण की गुणवत्ता पर उठे सवाल, मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने रोका काम

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Published By Muskan Dixit
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मुजफ्फरनगर, अमृत विचार: पश्चिमी यूपी के मुजफ्फरनगर जिले में रुड़की रोड से मदीना चौक तक बन रही सड़क के निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर सवाल उठने के बाद स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने कड़ा रुख अपनाया। शनिवार को अचानक निरीक्षण के लिए पहुंचे मंत्री ने सड़क निर्माण में कई खामियां पाईं। इसके बाद उन्होंने तुरंत काम रुकवा दिया। लगभग 3.75 करोड़ रुपये की लागत से बन रही इस सड़क का निर्माण 30 साल बाद शुरू हुआ था।

निरीक्षण में क्या सामने आया?

मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने सड़क निर्माण स्थल का दौरा किया और पाया कि कार्य में गुणवत्ता के मानकों का पालन नहीं किया जा रहा। सड़क के आधार (बेड) की मोटाई और सामग्री की गुणवत्ता अपेक्षित स्तर से काफी कम थी। जब उन्होंने मौके पर मौजूद निर्माण खंड की जूनियर इंजीनियर मीनाक्षी से जवाब मांगा, तो उनके स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं पाए गए। नाराज मंत्री ने सड़क खुदवाकर सामग्री की जांच की और तत्काल प्रभाव से निर्माण कार्य रोकने का आदेश दिया। साथ ही, इस मामले की गहन जांच शुरू कर दी गई है।

मंत्री ने क्या कहा?

मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने बताया कि यह सड़क रुड़की रोड से मदीना चौक और सरवट फाटक तक जाती है। कई वर्षों के प्रयासों और तत्कालीन सड़क निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद के सहयोग से इस परियोजना को स्वीकृति मिली थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इसे मंजूरी दी थी। इसके अलावा, गांधी कॉलोनी से भोपा अड्डे तक दूसरी सड़क को भी स्वीकृत किया गया था। 

उन्होंने कहा, "निरीक्षण के दौरान मैंने पाया कि सड़क के आधार की मोटाई और गुणवत्ता मानकों के अनुरूप नहीं है। सड़क की गहराई और सामग्री में कमी देखी गई। मैंने तुरंत काम रोक दिया और यह सुनिश्चित करूंगा कि गुणवत्ता के साथ कोई समझौता न हो। मैं दोबारा साइट का दौरा करूंगा और कार्य की समीक्षा करूंगा।"

मुख्यमंत्री के निर्देशों का उल्लंघन

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बार-बार अधिकारियों को परियोजनाओं में गुणवत्ता बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। मंत्री ने कहा कि यह सड़क 25-30 साल बाद बन रही है और यह गांधी कॉलोनी व नई मंडी को जोड़ने वाला महत्वपूर्ण मार्ग है, जहां अक्सर जाम की समस्या रहती है। 

निरीक्षण में पाया गया कि सड़क के आधार की मोटाई 10 इंच के बजाय केवल 2.5 से 5 इंच थी। इसमें मोटा रेत (कोर्स सैंड) भी नहीं डाला गया था। जल निकासी की व्यवस्था भी अपर्याप्त थी, जिससे सड़क की टिकाऊपन पर सवाल उठ रहे हैं। नालियों की ऊंचाई भी सही नहीं थी। 

सख्त कार्रवाई का आश्वासन

मंत्री ने कहा कि तकनीकी अधिकारियों की लापरवाही बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने चेतावनी दी कि गुणवत्ता के साथ समझौता करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। इस मामले की जांच शुरू हो की जा चुकी है और दोषियों को बिल्कुल भी बख्शा नहीं जाएगा। इस घटना एक बार फिर से निर्माण कार्यों में गुणवत्ता के प्रति लापरवाही को उजागर किया है, जिस पर सरकार का कड़ा रुख स्पष्ट है।

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