KGMU में पहली बार फेफड़े की दुलर्भ बीमारी से पीड़ित मरीज की बचाई जान

Amrit Vichar Network
Published By Virendra Pandey
On

लखनऊ, अमृत विचार । केजीएमयू के डॉक्टर फेफड़े की गंभीर व दुलर्भ बीमारी से पीड़ित मरीज को नई जिंदगी देने में कामयाब हुए हैं। मरीज पल्मोनरी एल्वियोलर प्रोटीनोसिस (पीएपी) बीमारी के कारण ऑक्सीजन सपोर्ट पर था। चिकित्सा विज्ञान में इस प्रक्रिया को होल लंग लवरेज (डब्ल्यूएलएल) कहते हैं। यह जानकारी केजीएमयू के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुरेश कुमार ने गुरुवार को पत्रकार वार्ता के दौरान दी।

डॉ. सुरेश ने बताया कि लखनऊ निवासी अनिरूद्ध (40) को सांस फूलने, खांसी और शरीर में ऑक्सीजन की कमी के चलते रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में भर्ती कराया गया। मरीज डॉ. एसके वर्मा और डॉ. राजीव गर्ग की निगरानी में भर्ती किया गया। उन्हें हाई फ्लो नेजल से ऑक्सीजन दी गई। खून की जांचें व चेस्ट एक्स-रे कराया गया। फिर फेफड़ों की सेहत की जांच के लिए सीटी स्कैन (एचआरसीटी) जांच कराई गई।

डॉ. राजीव गर्ग ने बताया कि मरीज के दोनों फेफड़े बीमार थे। मरीज में पल्मोनरी एल्वियोलर प्रोटीनोसिस के संकेत मिले। फिर ब्रोंकोएल्वोलर लावेज किया गया। जिसमें दुलर्भ बीमारी पीएपी की पुष्टि हुई। डॉक्टरों ने होल लंग लावेज करने का निर्णय लिया। दो चरणों में इलाज की तारीख तय की। 13 जून को दाहिने फेफड़े का लावेज किया। जबकि 7 जुलाई को बाएं फेफड़े का लावेज किया। केजीएमयू के इतिहास में पहली बार होल लंग लावेज प्रक्रिया अपना मरीज की जान बचाई है।

टीम के सदस्य

डॉ. सुरेश कुमार, डॉ. राजीव गर्ग, डॉ. एसके वर्मा, एनस्थीसिया विभाग की डॉ. शेफाली गौतम, डॉ. विनीता सिंह, डॉ. कृतिका यादव व डॉ. राहुल टीम में थे।

यह भी पढ़ें : कैसा ये इश्क है! देवरानी और जेठानी को हुआ प्रेम, नकदी-जेवरात लेकर हुईं फरार, पति थाने के काट रहे चक्कर

संबंधित समाचार