लखीमपुर खीरी : जिंदगी और मौत की जंग लड़ रही दुष्कर्म पीड़ित चार साल की बिटिया
चार दिनों से बच्ची ने कुछ खाया न पिया, परिजन परेशान, मेहनत मजदूरी करता है परिवार
मझगईं, अमृत विचार: थाना क्षेत्र की एक गांव की दुष्कर्म पीड़ित चार साल की बिटिया की हालत में चौथे दिन भी कोई सुधार नहीं हुआ है। वह लखनऊ के एक अस्पताल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रही है। उसकी हालत देख परिजन काफी परेशान है। उनका रो-रोकर हाल बेहाल है। परिजनों के मुताबिक वह अभी कुछ खा-पी भी नहीं रही है।
बता दें कि शुक्रवार को एक गांव निवासी चार साल की बच्ची के परिजन काम करने गए थे। उनकी चार वर्षीय बच्ची घर पर थी। वह शाम करीब पांच बजे खेलते खेलते गांव के निकट गन्ने के खेत की तरफ पहुंच गई। जहां से उसे एक 17 साल का किशोर बहला फुसलाकर गन्ने के खेत में ले गया और दुष्कर्म किया। इससे बच्ची की हालत बिगड़ गई। यह देख वह उसे खेत में ही छोड़कर भाग गया। किसी तरह से बच्ची घर पहुंची और अपनी मां को पूरी बात बताई। पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर बच्ची को अस्पताल भेजा था। उसका इलाज लखनऊ के एक अस्पताल में चल रहा है, लेकिन उसकी हालत में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। पीड़ित बिटिया के ताऊ ने बताया कि बच्ची ठीक ढंग से अभी भी बोल नहीं पा रही है। उसने चार दिनों से कुछ खाया-पिया भी नहीं है। डॉक्टरों ने हालत चिंताजनक बताई है।
इलाज में आड़े आ रही आर्थिक समस्या
दुष्कर्म पीड़ित बच्ची के परिजनों की आर्थिक स्थित काफी खराब है। इससे वह बिटिया का समुचित इलाज भी नहीं करा पा रहे हैं। परिवार के लोग खर फूस के मकान में आज भी रहकर गुजारा करते हैं। दिन भर मेहनत मजदूरी करते हैं। तब उन्हें दो वक्त की रोटी मिल पाती है। बिटिया के अस्पताल में भर्ती होने के कारण परिजन भी उसी के साथ हैं। इससे वह मेहनत मजदूरी भी नहीं कर पा रहे हैं। मासूम बिटिया के ताऊ ने बताया कि रिश्तेदारों और इधर-उधर से रुपये लेकर किसी तरह से बिटिया का उपचार कराया जा रहा है। उनका कहना है कि चार दिन बीत चुके हैं, लेकिन न तो कोई अफसर ही बिटिया का हाल जानने आया है और न ही कोई जनप्रतिनिधि ने कोई सुधि ली है। आर्थिक समस्या का सामना कर रहे परिवार वालों के सामने बिटिया का जीवन बचाने की चुनौती है।
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