लखनऊ : 16 साल बाद पैरों पर खड़ी हुई 19 साल की साक्षी
आठ साल बिस्तर पर बिताया जीवन, तीन साल की उम्र में दोनों पैरों में हो गए थे जख्म
लखनऊ, अमृत विचार : मां की अंगुली पकड़ कर चलना सीख ही रही थी कि पैरों में छाले (अल्सर) पड़ने लगे। स्थिति इस हद तक पहुंच गई कि तीन साल की उम्र में ही उसका चलना मुश्किल हो गया। दोनों पैरों की रोजाना ड्रेसिंग शुरू हुई। जिंदगी के आठ साल पूरी तरह से विस्तर पर गुजरे। पैर में संक्रमण इस हद तक बढ़ गया कि एक पैर काटना पड़ा। अब 16 साल बाद फिर से 19 साल की साक्षी चलने लगी है। दोस्तों के साथ खेल सकती है। स्कूल जा सकती है। यह संभव किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन) पीएमरआर विभाग की मदद से हुआ है। साक्षी का इलाज करने के साथ उसे सहायक उपकरण लगाए गए हैं।
गोरखपुर के रहने वाले अनिल पासवान प्राइवेट नौकरी कर पत्नी और तीन बच्चों के साथ गुजर बसर करते हैं। अनिल ने बताया कि बड़ी बेटी साक्षी रंजन जब तीन साल की थी तभी उसके दोनो पैरों में अल्सर हो गया। जख्म इतने गहरे हो गए कि चलना दुश्वार हो गया। रोजाना ड्रेसिंग करानी पड़ती थी। दूसरे के सहारे स्कूल जा पाती थी। पिता के मुताबिक उसने एसजीपीजीआई और दिल्ली एम्स में जाकर इलाज कराया। लेकिन राहत नहीं मिली। एक साल पहले केजीएमयू के प्लास्टिक सर्जरी विभाग में दिखाया। जहां संक्रमण फैलने की वजह से उसका दाहिना पैर काटना पड़ा। फॉलोअप के लिए उसे आना पड़ता था। घाव सही न होने पर उसे पीएमरआर विभाग रेफर कर दिया गया।
घाव पर दबाव न देने वाले उपकरण किए गए तैयार
केजीएमयू में प्रोस्थेटिक ऑर्थोटिक यूनिट की प्रभारी शगुन सिंह ने बताया साक्षी गत 7 फरवरी को विभाग में आई थी। पैरों में जख्म होने के कारण उपकरण तैयार करने में दिक्कत आ रही थी। उसे पीएमरआर विभाग के प्रमुख डॉ. अनिल गुप्ता की देखरेख में 15 मई को भर्ती कर इलाज शुरू किया गया। अल्सर में आराम मिलने पर 5 जुलाई को छुट्टी दे दी गई। सेंसर मशीन के जरिए इस हिसाब से सहायक उपकरण (करेक्टिव) तैयार किए गए कि पैर के जिस हिस्से में घाव है वहां दबाव न पड़े। साथ ही पैरों की हड्डियां भी कमजोर हो गईं थी।जिसमें फैक्चर होने का भी डर था। मंगलवार को उसके दोनों पैरों में उपकरण लगने के बाद साक्षी अब चलने लगी है।
साक्षी डॉक्टर बनकर करना चाहती है जरूरतमंद लोगों की सेवा
साक्षी वर्तमान में कक्षा-11 की छात्रा है। वह मेधावी है। साक्षी का सपना डॉक्टर बनने का है। साक्षी ने बताया कि इसके लिए वह नीट की तैयारी कर रही है। डॉक्टर बनकर जरूरतमंद लोगों की सेवा करना चाहती है। पिता अनिल पासवान का कहना है कि बेटी के सपनो को पूरा कराने में वह हर संभव मदद करेंगे।
सभी को चलकर दिखाती है
पिता ने बताया कि अब वह स्वयं चलकर अपने सभी काम आसानी से कर रही है। हर समय विस्तर पर पड़ी रहने वाली साक्षी घर आने वाले रिश्तेदारों को चलकर दिखाते हुए खुशी जताती है।
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