निदेशक वित्त नारंग को आखिर क्यों बार-बार विस्तार दिला रहा पावर कॉरपोरेशन, संघर्ष समिति ने उच्च स्तरीय जांच की मांग
लखनऊ, अमृत विचार। उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन में शासन के इनकार के बाद निदेशक वित्त निधि कुमार नारंग को फिर कार्य विस्तार देने का प्रकरण तूल पकड़ रहा है। निदेशक वित्त को बार-बार विस्तार दिलाने के पीछे निजी घरानों का दबाव की आशंका जताई जा रही है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने इस प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
संघर्ष समिति ने कहा है कि सेवा विस्तार के जिस प्रस्ताव को शासन अस्वीकार दिया, उसी प्रस्ताव को दोबारा शासन को भेजकर पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन ने स्वयं स्पष्ट कर दिया है कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के पीछे निजी घरानों से तालमेल है। संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस प्रकरण में प्रभावी हस्तक्षेप करने की अपील की है।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि पंजाब और कुछ अन्य प्रदेशों में ऐसे सौर ऊर्जा प्लांट लगे हैं जिनमें कॉरपोरेशन के एक अधिकारी की हिस्सेदारी बताई जा रही है। संघर्ष समिति ने कहा कि पावर कॉरपोरेशन की ओर से अपर मुख्य सचिव ऊर्जा को 31 जुलाई को भेजे गये पत्र में लिखा है कि शासन की ओर से सुधार की जो रूपरेखा अंतिम की जानी है, उसे तैयार व क्रियान्वित करने में निदेशक वित्त की नितांत आवश्यकता व भूमिका होगी। किसी भी वृहद सुधार में निगमों की परिसंपत्तियों का मूल्यांकन, बैलेंस शीट बनाने, इक्विटी की गणना आदि का कार्य अत्यन्त ही महत्वपूर्ण होगा।
परिसम्पत्तियों मूल्यांकन किए बगैर तैयार हुआ निजीकरण का दस्तावेज
संघर्ष समिति ने कहा कि इससे बिलकुल स्पष्ट हो जाता है कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का दस्तावेज इन निगमों की परिसम्पत्तियों का मूल्यांकन किये बिना तैयार किया गया है। संघर्ष समिति शुरू से ही आरोप लगाती रही है कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की लगभग एक लाख करोड़ रुपये की परिसम्पत्तियों का मूल्यांकन किये बिना कुल चुनिंदा निजी घरानों को इसे कौड़ियों के मोल बेचने की साजिश है।
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