अतीत का आइना : कोसी नदी में भी प्रवाहित की गईं थीं राष्ट्रपिता की अस्थियां
रामपुर, अमृत विचार। 11 फरवरी 1948 को महात्मा गांधी की अस्थियां सजी हुई नाव से नवाब रजा अली खां ने कोसी नदी में भी प्रवाहित की थीं। इससे पहले महात्मा गांधी की अस्थियां फिजिकल कॉलेज स्टेडियम में जनता दर्शन के लिए रखी गईं थीं। तभी से फिजिकल कालेज स्टेडियम को गांधी स्टेडियम के नाम से भी पुकारा जाने लगा। रेलवे स्टेशन से महात्मा गांधी की अस्थियों को एक सजे हुए हाथी पर रखकर शहर में घुमाया गया था। बापू की बची हुई अस्थियों को चांदी के कैप्सूल में रखा गया और अष्टधातु के कलश में रखकर दफना दिया गया था, जिसे गांधी समाधि के नाम से जाना जाता है।
राजकीय मुद्रणालय से प्रशासनिक अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त राम मोहन चतुर्वेदी बताते हैं उनके पिता राधा मोहन चतुर्वेदी रियासत में राज कवि थे। राम मोहन चतुर्वेदी ने बताया कि उनके पिता के हाथों से अस्थियां अस्थि कलश में रखी गई थीं। वह भी उस नाव में सवार थे, जिसमें बापू की अस्थियां रखी थीं और नवाब रजा अली खां सवार थे। 10 फरवरी को नवाब रजा अली खां दिल्ली के राजघाट पहुंचे और महात्मा गांधी की चिता वेदी पर श्रद्धासुमन अर्पित किए। इसके बाद नवाब रजा अली खां ने बापू की अस्थियों को रामपुर ले जाने की इच्छा जताई। डीआरडीए के कर्मचारी पुनीत शर्मा बताते हैं कि उन्हें उनके बाबा पंडित राम रतन शर्मा ने बताया था कि अस्थियों को लाने के लिए रामपुर से 18 सेर वजनी अष्टधातु का कलश दिल्ली ले जाया गया था।
11 फरवरी को सुबह 9 बजे नवाब की स्पेशल ट्रेन से अस्थि कलश रामपुर लाया गया। हजारों की भीड़ स्टेशन पर थी। शांति मार्च के रूप में अस्थि कलश को सजे हुए हाथी पर रख कर रेलवे स्टेशन से फिजिकल कालेज स्टेडियम लाया गया, जहां शहरवासियों ने बापू को श्रद्धांजलि दी। 12 फरवरी 1948 को रामपुर में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया और स्टेडियम में हुई शोकसभा में सर्वधर्म पाठ हुए। इसके बाद अपराह्न 3 बजे कलश को सुसज्जित हाथी पर रखकर कोसी नदी लाया गया। यहां नवाब ने कुछ अस्थियां कोसी में विसर्जित की तो शेष को कलश में लेकर रियासती बैंड की मातमी धुन के बीच नवाबगेट के पास लाया गया। यहां इन्हें चांदी के कलश में रखकर नवाब ने अपने हाथों से जमीन में दफन किया। इस स्थान पर गांधी समाधि बनाई गई। अब यहां पर भव्य गांधी समाधि है। गांधी समाधि रामपुर की शान है। स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस और गांधी जयंती पर यहां ध्वजारोहण किया जाता है।
पंडितों के तर्क के बाद मिली थीं बापू की अस्थियां
पुनीत शर्मा बताते हैं कि उनके परबाबा रियासत में मुख्य राज ज्योतिषी थे उन्होंने सारे बाते अपने बेटे को बताईं थी और उनके बाबा ने उन्हें बताया कि नवाब रजा अली खां ने जब दिल्ली पहुंचकर बापू की अस्थियां रामपुर ले जाने की इच्छा जताई थी तो उनको मना कर दिया गया था। पहले यह कहा गया कि एक मुसलमान को बापू की अस्थियां क्यों दी जाएं। पंडितों के तर्क के बाद बापू की अस्थियां नवाब को सौंप दी गई थीं। नवाब रजा अली खां अपने साथ पंडित राम रतन, पंडित राम चंद्र, राम गोपाल शर्मा, पंडित राधे मोहन चौबे और मदन मोहन चौबे को दिल्ली साथ ले गए थे।
